संक्षिप्त परिचय –
भारत की सबसे रहस्यमयी नदियों में से एक सुवर्णरेखा नदी पश्चिमी भारत में बहने वाली एक प्रमुख नदी है. नदी का उद्गम झारखंड की राजधानी रांची से होता है. इसका मूल उद्गम स्थल रांची में स्थित ‘रानी चुआं’ नामक स्थान को माना जाता है. यह एक पहाड़ी व मौसमी नदी है, जो कि प्रमुख रूप से झारखंड व उड़ीसा राज्य में बहती है. सुवर्णरेखा नदी किसी अन्य नदी की सहायक नदी नहीं है. यह अकेले अपनी यात्रा तय करते हुए बालेश्वर में बंगाल की खाड़ी में समा जाती है.
प्रवाह क्षेत्र –
अपने उद्गम से लेकर बंगाल की खाड़ी तक के सफ़र में सुवर्णरेखा नदी करीब 474 कि.मी. का सफ़र तय करती है. यह नदी झारखंड में प्रमुख रूप से मानभूम व सिंहभूम जिले में बहती है. सिंहभूम से सुवर्णरेखा नदी उड़ीसा राज्य की सीमा में प्रवेश करती है. उड़ीसा के विभिन्न भूभागों में प्रवाहित होते हुए यह नदी अंत में राज्य के बालेश्वर जिले में बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है और इसी के साथ सुवर्णरेखा के एकल व रहस्यमयी सफ़र का अंत हो जाता है.
सहायक नदियां व जलप्रपात –
सुवर्णरेखा स्वयं तो किसी नदी की सहायक नदी नहीं हैं, किन्तु इसके मार्ग में इससे मिलने वाली प्रमुख सहायक नदियां कांची, खरकई व राढू नदी हैं. इसके अलावा सुवर्णरेखा नदी अपने उद्गम से कुछ कि.मी. प्रवाहित होने के बाद रांची में ही ‘हुंडरू’ नामक जलप्रपात का निर्माण करती है. साथ ही सुवर्णरेखा नदी पर जोन्हा के समीप एक अन्य जलप्रपात ‘गौतम धारा’ भी बना हुआ है. यह दोनों ही जलप्रपात राज्य के प्रसिद्ध जलप्रपातों की सूची में शामिल हैं.
नदी का नामकरण -
सुवर्णरेखा नदी में पाई जाने वाली रेत में सोने के कण पाए जाते हैं, इसी कारण इस नदी का नाम स्वर्ण (सोने) के नाम के आधार पर सुवर्णरेखा पड़ गया. सुवर्णरेखा में बहने वाला जल भी स्वर्ण की भांति चमकता है. नदी की रेत में पाए जाने वाले कण भूवैज्ञानिकों के लिए भी रहस्य का विषय बने हुए हैं और इसे लेकर अभी तक कोई पुष्टि नहीं हो पाई है कि ये कण वास्तव में कहां से आए ?