मिशन’ जैसे तमाम अभियान बिहार के धरातल पर आते- आते धराशायी हो जाते हैं. नतीज़ा वही गंदगी और प्रदूषण, जिसे गंगा नदी पिछले कई सालों से झेल रही है. इसे रोकने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल कई ही कठोर नियम और कड़े फैसले सुना चुकी है, लेकिन सरकारें इससे बेखबर अभी भी चैन की नींद सो रही हैं. जिनकी निष्क्रियता का नतीज़ा गंगा को भुगतना पड़ रहा है.
ताजा मामला बिहार राज्य का है, जहां गंगा सफाई से जुड़े अभियानों पर काम करना तो दूर सीवर इंफ्रास्ट्रक्चर भी आधा अधूरा पड़ा है. सरकार की तरफ से गंगा नदी को साफ करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए. जिससे नाराज़ एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने बिहार सरकार पर कड़ी कार्रवाई करते हुए 29 मई, 2019 को 25 लाख रुपए का जुर्माना लगा दिया. बिहार सरकार ने इस पर सफाई देते हुए एनजीटी से आदेश की समीक्षा करने की अपील जरूर की, लेकिन ट्रिब्यूनल ने जुर्माने की याचिका पर किसी भी प्रकार के पुर्नविचार से इंकार कर दिया.
इस मामले पर एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि, प्रदूषण को लेकर बिहार सरकार की कार्यप्रणाली में इसे रोकने के लिए ठोस उपायों का अभाव है. वहीं सरकार की ओर से प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ़ भी कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की गई है. इसके अलावा किसी भी स्थिति में राज्य द्वारा सीवरेज नेटवर्क और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स का निर्माण किया जाना चाहिए था. अतः एनजीटी के पास सरकार के आवेदन पर पुर्नविचार करने का कोई कारण नहीं है.
भारत में गंगा सिर्फ एक नदी नहीं बल्कि श्रृद्धा का केन्द्र है, लेकिन इसका पानी आज नहाने तो दूर पीने योग्य भी नहीं रह गया गया है. आज भी लोग श्रृद्धा के साथ गंगा में डूबकी लगा रहे हैं, लेकिन नदी का पानी दूषित होने के कारण इसका लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. जिसे लेकर एनजीटी ने चिंता जाहिर की.
बिहार के अलावा झारखंड, पश्चिम बंगाल व उ.प्र. में भी गंगा सफाई की स्थिति कुछ खास अच्छी नहीं है. वहीं बिहार व पश्चिम बंगाल में नदी में प्रदूषण की भयावह स्थिति व सरकार की निष्क्रिय कार्यप्रणाली को देखते हुए एनजीटी ने इन दोनों राज्य की सरकारों पर भी कार्रवाई करते हुए जुर्माना लगाया. साथ ही गंगा नदी में निरंतर गंदे पानी और कूड़े- कचरे को प्रवाहित करने को लेकर भी एनजीटी ने कड़ी आपत्ति जाहिर करते हुए कहा, कि गंगा में किसी भी प्रकार के अपशिष्ट पदार्थ का निर्वहन करना अपराध की श्रेणी के अंतर्गत आता है.
इसके अलावा एनजीटी ने गंगा प्रदूषण को लेकर सबसे ज्यादा सक्रिय मानी जाने वाली उत्तर- प्रदेश सरकार को भी मामले पर घेरते हुए कहा कि सरकार प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक गतिविधियों पर आंशिक रूप से अंकुश लगाने की बजाए उन पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाए. क्योंकि नदी में प्रदूषण की एक बूंद भी बेहद घातक है.
राज्य सरकारों पर कड़ी कार्रवाई करने के साथ ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सरकारों व संबंधित अधिकारियों को गंगा सफाई के मुद्दे को गंभीरता से लेने को कहा. साथ ही सरकार द्वारा इस दिशा में उठाए गए कदमों की सटीक जानकारी सीनियर अधिकारियों व वकीलों के माध्यम से एनजीटी को देने का निर्देश भी दिया. आशा है कि एनजीटी की कार्रवाई को प्रदेश सरकारें गंभीरता से लेंगी और गंगा सफाई को लेकर सक्रिय कार्यप्रणाली के साथ कार्य करेंगी.