नीम नदी को उसके उद्गम स्थल पर पुनर्जीवित करने के पुनीत कार्य का बीड़ा नीर फाउंडेशन ने उठाया है और प्रकृति व पर्यावरण की अनूठी धरोहर नदियों ओ संरक्षित करने की मुहिम का आगाज नीम नदी के उद्गम स्थल पर किया गया। जहां नीर फाउंडेशन और दैनिक जागरण के संयुक्त प्रयासों के बाद अब शासन -प्रशासन सहित स्थानीय जनता, किसान, छात्र-छात्राएं, स्वयं सहायता समूह, नेता-अधिकारी सब नदी को उसका पुरातन स्वरूप लौटने की दिशा में जुट गए।
बता दें कि उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में बहने वाली नीम नदी का उद्गम स्थल दत्तियाना गांव माना जाता है, कहा जाता है कि ऋषि दत्तात्रेय की तप स्थली होने के कारण इस गांव की धार्मिक और एेतिहासिक महत्ता रही है। काली नदी की सहायक नीम नदी तीन जिलों से होकर गुजरती है और हापुड़ जिले के 14 गांवों को सींचते हुए यह पहले बुलंदशहर और फिर अलीगढ़ में पहुँचती है, जहां यह 40 किमी बहते हुए काली नदी में जाकर विलीन हो जाती है।
हापुड़ जनपद के दत्तियाना गांव में नीम नदी के पुनर्जीवन का कार्य प्रारंभ किया गया। इस अवसर पर नीर फाउंडेशन के निदेशक नदी पुत्र रमनकांत के साथ साथ गढ़ मुक्तेश्वर के विधायक कमल सिंह मलिक, मंडलायुक्त मेरठ सुरेन्द्र सिंह, जिलाधिकारी हापुड़ अनुज सिंह, सी0डी0ओ0 हापुड़ उदय सिंह, डी0एफ0ओ0 हापुड़, उपजिलाधिकारी, सिंचाई विभाग व लघु सिंचाई विभाग सहित संबंधित सभी विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।
इस अनोखे कार्यक्रम की शुरुआत अधिकारियों को लघु नदी यात्रा करने से हुई, जिसके बाद नदी के उद्गम स्थल पर हवन किया गया, किनारों पर वृक्षारोपण करते हुए 100 से अधिक पीपल के पौधे लगाए गए, नदी सेवा संगोष्ठी का आयोजन कर विशेषज्ञों ने अपने अपने विचार रखे और बड़ी संख्या में नदी प्रेमियों ने पहुंचकर श्रमदान किया। इस अवसर पर हापुड़ जनपद के नदी किनारे के गांव के नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान, बी0डी0सी0 सदस्य, नीर फाउंडेशन के पदाधिकारी शुभम कौशिक, सोनू शर्मा, मनोज फौजी व राजीव त्यागी सहित भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारी, दत्तियाना के प्रधान व बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे।
नीम नदी सेवा कार्यक्रम के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए नदीपुत्र रमन त्यागी ने बताया कि विधायक श्री कमल मलिक द्वारा उद्गम स्थल पर अपनी निधि से एक चेकडैम बनाने की घोषणा की गई। मण्डलायुक्त सुरेन्द्र सिंह ने नीम नदी के किनारे नीम का सघन वन खड़ा करने की बात कही तथा बरसात से पहले उद्गम झील का निर्माण कराने का संकल्प लिया। जिलाधिकारी अनुज सिंह ने प्रशासन द्वारा श्रमदान के माध्यम से नदी उद्गम पर एक चेकडैम बनाने की घोषणा की। नदी पुत्र ने मण्डलायुक्त महोदय से नदी को पुनर्जीवित करने हेतु पांच मुख्य बिन्दु भी उनके सामने रखे।
1. नदी के दोनों किनारे के एक किलोमीटर की दूरी तक सघन वन बनाया जाए।
2. नदी से एक किलोमीटर की दूरी तक के तालाबों को पुनर्जीवित किया जाए।
3. नदी किनारे के गांव में जन जागरूकता कार्यक्रम संचालित किए जाएं।
4. नदी किनारे रसायनमुक्त कृषि को बढ़ावा दिया जाए।
5. नदी में उद्गम से लेकर कुछ-कुछ दूरी पर चेकडैम बनाये जाएं।
नदीपुत्र रमनकांत ने बताया कि यदि इन बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए कार्य किया जाता है तो निश्चित रूप से भूजल स्तर बढ़ेगा और नदी स्वत: ही 12 महीने बहेगी। गौरतलब है नीर फाउंडेशन इससे पहले भी मुजफ्फरनगर स्थित खतौली के अंतवाडा गांव में काली नदी को उसके उद्गम स्थल पर पुनर्जीवन दे चुका है और इसमें भी संयुक्त प्रयासों की अनूठी पहल देखने को मिली थी। इसी कड़ी में काली नदी की सहायक नदियों को अब पुनर्जीवन देने की कोशिश की जा रही है। संस्था के निदेशक रमनकांत सहायक नदियों को मुख्य नदियों की धमनियाँ मानकर चलते हैं और उनका मानना है कि जब तक इन बारहमासी छोटी छोटी नदियों को संरक्षित नहीं किया जाएगा, तब तक गंगा, यमुना को अविरल करने का प्रयास व्यर्थ है।