हिंडन को प्रदुषण मुक्त बनाने के लिए गाज़ियाबाद नगर निगम नया सीवर ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की तैयारी कर रहा है. गौरतलब है कि गाज़ियाबाद में शहरी क्षेत्रों में पांच तथा ग्रामीण क्षेत्रों में दो नाले हिंडन नदी को मैला बना रहे हैं, जिनके माध्यम से लगभग 245 एमएलडी अवजल हिंडन में सीधे बहाया जा रहा है. इन नालों में मुख्य रूप से ज्वाला, अर्थला, कैला भट्टां, इंदिरापुरम, करहेडा, डासना, प्रताप विहार और हिंडन विहार नाले शामिल हैं. इसे रोकने के लिए नगर निगम ने योजना बनायीं है, जिसके अनुसार इन सभी नालों को एक साथ मिलाया जायेगा और इनके ट्रीटमेंट के लिए नया प्लांट बनाया जायेगा, जिसकी जिम्मेदारी निगम प्रशासन ने जल निगम को सौंपी है.
गौरतलब है कि हिंडन नदी सहारनपुर जनपद से प्रारम्भ होकर गौतमबुद्धनगर जनपद में जाकर यमुना में समाहित हो जाती है. काली पश्चिम, कृष्णी, धमोला, पांवधोई, नागदेव, चाचाराव, सपोलिया, अंधाकुन्डी व स्रोती जैसी अन्य छोटी धाराएं मिलकर हिंडन की सहायक नदियां बनती हैं. उद्गम से यमुना में समाहित होने तक हिण्डन की कुल लम्बाई करीब 355 किलोमीटर है, जिस दौरान विभिन्न जिलों में गिर रहा कारखानों और सीवरेज अपशिष्ट इसे पूरी तरह प्रदूषित कर देता है. यहाँ तक कि अंत में जब यह नदी गौतमबुद्धनगर जनपद के तिलवाड़ा गांव से पश्चिम व मोमनाथल गांव से पूर्व में यमुना में मलीन होती है तो इसमें बहते हुए काले रंग के बदबूदार पानी को देखकर कोई कह नहीं सकता है कि यह एक जीवित नदी है.
हाल ही में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट से स्पष्ट हुआ था कि हिंडन उत्तर प्रदेश की सबसे प्रदूषित नदियों में प्रथम है, साथ ही इसे देश की चौथी सबसे प्रदूषित नदी माना गया था. रिपोर्ट से यह भी सामने आया था कि गाज़ियाबाद, सहारनपुर और गौतमबुद्धनगर में यह नदी पूरी तरह प्रदूषित हो जाती है. इसमें बीओडी यानि बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड का भार तय मानक से 40 गुना अधिक पाया गया था. बीओडी की मानक सीमा अधिकतम 3 मिलीलीटर मानी गयी है जबकि जांच के समय यह प्रतिलीटर के हिसाब से विभिन्न स्थानों पर 48 से 120 मिलीलीटर पाया गया था.
इस रिपोर्ट के जारी होने पर एनजीटी के निर्देश पर ओवरसाइट कमिटी का गठन किया गया था, जिसके सदस्य व प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय ने एक बैठक करते हुए हिंडन नदी में बढ़ते प्रदूषण को लेकर अफसरों की क्लास लगाई थी. उन्होंने हिंडन नदी में जा रहे गंदे नालों को बंद करने या फिर उनका पानी साफ करने के निर्देश दिए थे और नगर निगम के अफसरों पर भी नाराजगी जताई थी. बैठक में नगर निगम गाज़ियाबाद के बहुत से अधिकारी शामिल थे, जिन्हें साफ़ तौर पर कहा गया था कि इंडस्ट्रियल वेस्ट और डोमेस्टिक वेस्ट को अलग किया जाए और प्रत्येक इंडस्ट्रियल एरिया में एक कॉमन ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना भी की जानी चाहिए, जिससे हिंडन में गन्दा पानी नहीं जाए.
ज्ञात हो कि इससे पूर्व भी हिंडन को साफ़ करने के उद्देश्य से गाज़ियाबाद में गिरने वाले नालों के जैविक उपचार की बात की गयी थी. प्रयागराज में बैक्टीरिया का उपयोग करके नालों की सफाई का क्रम चलाया गया था, जिसमें मिली सफलता के बाद हिंडन के लिए भी यही फार्मूला अमल में लाने की बात रखी गयी थी. गाज़ियाबाद नगर निगम ने इसके लिए जल निगम से डीपीआर तैयार कराया था, जिसमें सालाना 32 करोड़ 36 लाख रूपये के बजट से इन नालों में एनएरोबिक बैक्टीरिया डालकर सफाई करवाने की बात रखी गयी थी.
इन सभी योजनाओं पर काम होना अभी कागजी स्तर तक ही सीमित है, हो सकता है कि भविष्य में इन योजनाओं पर उचित कार्यवाही हो और हिंडन की स्वच्छता व अविरलता को लेकर ठोस कदम उठाये जाए क्योंकि हिंडन का यह मैला जल यमुना को भी प्रदूषित कर रहा है. देश की मुख्य नदियों के प्रदूषण को रोकने के लिए सहायक नदियों का साफ़ होना बेहद आवश्यक है और यह तथ्य सरकारी प्रशासन को भी सोचना होगा.
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