अपने रजवाड़ों और रेगिस्तानों के लिए मशहूर राजस्थान गर्मी आते ही एक बार फिर पानी की किल्लत से जूझ रहा है. राज्य में पानी की एक-एक बूंद के लिए त्राहिमाम मचा है. कई गांव सूखे से पीड़ित हैं, जहां पीने के पानी के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है. यही नहीं इस मरूभूमि की शहरी आबादी भी ऐसी ही समस्या से जूझ रही है. स्थितियां दिन-प्रतिदिन बदतर होती जा रही हैं. आलम यह है कि लोग सोने- चांदी की तरह पानी को संजो कर रख रहे हैं.
केंद्र सरकार की नेशनल रेनफेड एरिया अथॉरिटी के अनुसार राजस्थान
के कुछ जिले भयंकर सूखे का सामना कर रहे हैं, जिनमें नागौर, जैसलमेर, चुरू, अजमेर
शामिल हैं, तो वहीं बाड़मेर, जयपुर आदि जिलों में भी जलसंकट गहराता जा रहा है. जयपुर
के 50 किमी के दायरे में आने वाले ग्राम फुलेरा, हिरनौदा, जोबनेर, छाण इत्यादि के
अंतर्गत 8-10 दिनों के अंतराल में 5-10 मिनट पानी पहुंच रहा है. विगत वर्ष भी
राजस्थान के जिलों ने सूखे का सामना किया था, जिसकी घोषणा राज्य
सरकार द्वारा अधिसूचना जारी करके दी गयी थी.
वहीं इस साल बाड़मेर जिला भी दशक का सबसे भयावह सूखा झेल रहा है और जिले के कुल 2775 गांवों में से 2741 गावों को सूखा प्रभावित घोषित किया गया है. आंकड़ों की माने तो वर्ष 2014 में 1600 गांव सूखे से प्रभावित हुए थे, जबकि वर्ष 2015 में यह आंकड़ा घटकर 1470 तक पहुंच गया था. जिसके उपरांत क्रमशः वर्ष 2016 में 2478 तथा 2017 में 1900 गांव सूखे से प्रभावित हुए. जिसके कारण न केवल फसल, अपितु पशुधन भी प्रभावित हुआ है.
सूखा पूर्व चेतावनी प्रणाली (डीईडब्ल्यूएस) के मुताबिक भारत
का लगभग 42 फीसदी हिस्सा 'असामान्य रूप से सूखाग्रस्त' है. तुलनात्मक
रूप से यह आंकड़ा पिछले वर्ष के मुकाबले 5 फीसदी अधिक है. डीईडब्ल्यूएस की माने तो
असामान्य रूप से सूखाग्रस्त इलाके का हिस्सा बढ़कर 42.61 फीसदी हो गया है, जो 21 मई से पहले
42.18 फीसदी था. सूखे के बेहद प्रभावित इलाकों में मुख्य रूप से तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात और
राजस्थान के जिले शामिल शामिल हैं.
राजस्थान में इस संकट की प्रमुख वजह है यहां का तापमान. देश के इस राज्य में
तापमान बाकी राज्यों की तुलना में कहीं अधिक कहर बरपा रहा है. रिपोर्ट्स के
मुताबिक, इस मौसम में राज्य का औसत तापमान 50 डिग्री सेल्सियस के आस- पास रहता है,
वहीं यहां का न्यूनतम तापमान ही 30 डिग्री सेल्सियस है. तापमान का यह टॉर्चर
राजस्थान की मुश्किलें बढ़ाता नज़र आ रहा है.
जून माह में बढती गर्मी ने राजस्थान में सबसे अधिक कहर
बरपाया. एक जून को चुरू में अधिकतम तापमान 50.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.
चुरू में यह अब तक का सबसे अधिक तापमान बताया जा रहा है, इससे पूर्व 2016 में यहां
का तापमान 50.2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा था. मौसम विभाग जयपुर के क्षेत्रीय
निदेशक शिव गणेश ने बताया कि इससे पहले जोधपुर के पास फलौदी में 51 डिग्री
सेल्सियस तक तापमान जा चुका है. वहीं, प्रदेश के श्रीगंगानगर में शुक्रवार को 75 साल
का रिकॉर्ड तोड़ तापमान 49.6 डिग्री पार कर गया. बढ़ता पारा प्रदेश के तमाम
जलस्त्रोतों के सूखने का कारण बन रहा है.
वहीं राजस्थान के कई इलाकों को रोजमर्रा की जरूरतें तो छोड़िए प्यास बुझाने भर
पानी भी मुहैया नहीं हो पा रहा. पीएचईडी के आंकड़ो के अनुसार, राज्य की ग्रामीण आबादी को रोजाना 3 अरब 29
करोड़ 60 लाख लीटर (3296 मिलियन) पानी की आवश्यकता है, किन्तु इसके विपरीत गांवों तक महज़ 2307.2 मिलियन पानी ही पहुंच पा रहा है, जो कि लोगों की
मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भी नाकाफी है. वहीं राज्य के शहरी इलाकों
की स्थिति में भी ज्यादा अंतर नहीं है. पीएचईडी के मुताबिक शहरी क्षेत्रों को
प्रतिदिन
2 अरब 84 करोड़ 31 लाख लीटर (2843 मिलियन) पानी की जरूरत
है, लेकिन यहां सिर्फ 1990.17 मिलियन पानी ही पहुंच पा रहा है.
राजस्थान की कुल आबादी 8 करोड़ 24 लाख है. वहीं रिपोर्ट्स की मानें तो इस
आबादी में से करीब 3 करोड़ लोगों को रोजाना पीने के लिए पर्याप्त पानी भी नहीं मिल
पा रहा. किसी भी राज्य के लिए इससे दयनीय स्थिति और क्या होगी कि उसकी कुल
जनसंख्या का लगभग 30 प्रतिशत भाग रोजना प्यासा रह जाता हो.
मरूभूमि में पानी की
किल्लत से जो उथल- पुथल मची है, उससे राज्य व केन्द्र सरकार भलीभांति परिचित है.
राज्य सरकार लगातार स्थितियों से निपटने का प्रयास करने का दावा कर रही है, लेकिन
स्थितियां जस की तस ही हैं. जलसंकट गहराने पर राजस्थान सरकार ने इस मामले में
केन्द्र की मदद मांगी है.
हाल ही में सूबे के ऊर्जा, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं भूजल मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत द्वारा आयोजित बैठक में उन्हें राज्य की परिस्थितियों से अवगत कराया. साथ ही ने केन्द्र से जलसंकट से निपटने के लिए 43 हजार करोड़ रूपए व पूर्ण सहयोग की मांग भी की. आशा है केन्द्र सरकार जल्द ही इस ओर कोई ठोस कदम उठाएगी.