मानसून आने से पहले देश के कई भागों में जलसंकट गहरा रहा है. इस कड़ी में अब दक्षिण भारत के चेन्नई शहर का भी नाम जुड़ चुका है. महानगर के प्रमुख जलस्त्रोतों रेड हिल, शोलावरम और चेम्बरबक्कम झील का जल सूख चुका है. दैनिक आधार पर उपलब्ध कराए जाने वाले पानी में बड़ी मात्रा में कटौती की जा रही है. झीलों के सूखने के कारण होने वाली पानी की किल्लत से महानगर में दैनिक जीवनचर्या भी प्रभावित हो रही है. तकरीबन 40 फीसदी पानी की कटौती के चलते नागरिकों को समस्याएं उठानी पड़ रही हैं.
गर्मी और बारिश
की कमी के चलते दो साल पहले भी चेन्नई में भीषण सूखा पड़ चुका है. जिसने तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई को सबसे ज्यादा प्रभावित किया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक चेन्नई
में 140 साल बाद ऐसा सूखा पड़ा
था. उस सूखे ने जो त्रासदी मचायी थी, उसे लोग अभी भुला भी नहीं पाए थे, कि दक्षिण- भारत का यह शहर एक बार फिर उसी कगार पर खड़ा दिखाई दे रहा है.
स्थितियां और बदतर हों, इससे पहले
प्रशासन को इस पर नियंत्रण पाना होगा.
गहराते जलसंकट ने
चेन्नई में जनजीवन को पूरी तरह से अस्त- व्यस्त कर दिया है. पानी की
किल्लत का प्रभाव आम नागरिकों समेत कृषि, उद्योगों, होटलों, अस्पतालों, निजी कंपनियों व सरकारी संगठनों सभी जगह देखने को मिल रहा
है. यहां तक कि महानगर के बहुत से मेट्रो स्टेशन पर एयर कंडीशनर सुविधा को भी
अथॉरिटी द्वारा बंद कर दिया गया है, जिसका कारण इसके संचालन में पानी का अत्याधिक उपयोग होना बताया गया है. इस
विकट समस्या से निपटने के लिए अन्य कई संस्थाओं ने भी पानी के प्रयोग में कटौती की
है तो कई ने अपने कार्यशील घंटों में.
लोग पानी के लिए
टैंकरों पर निर्भर हो रहे हैं, किन्तु सरकारी
टैंकर इतनी मात्रा में पानी मुहैया नहीं कर पा रहे, वहीं निजी टैंकर मनचाहे दामों पर पानी सप्लाई कर रहे हैं.
जिसका असर यह है कि लोग बूंद- बूंद पानी के लिए हाथापाई पर उतर आए हैं. पानी की ये
लड़ाई शहर में बल या छल की लड़ाई बन रही है. जिसके अंतर्गत कहीं एक- दूसरे का
पानी कनेक्शन काटा जा रहा है तो कहीं छीनाझपटी और मारपीट के जरिए पानी लिया जा रहा
है.
भूजल व जलाशयों
के जलस्तर में आई भारी कमी के बाद प्रशासन द्वारा लोगों को दैनिक उपयोग के लिए
मुहैया कराए जाने वाले जल में भी बड़ी मात्रा में कमी कर दी है. रिपोर्ट्स के
मुताबिक, चेन्नई महानगर को रोजाना 800 मिलियन लीटर पानी की आवश्यकता होती है,
किन्तु वहां मात्र 550 मिलियन लीटर पानी सप्लाई किया जा रहा है. यानि पानी 40 प्रतिशत कम पानी की सप्लाई. वहीं कई क्षेत्रों
की हालत तो इससे भी खराब है, जहां पर्याप्त
पेयजल पहुंच ही नहीं पा रहा है.
बगैर पानी के सूखते चेन्नई की दयनीय स्थिति पर सरकार व विपक्ष की तरफ से तरह- तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. हालांकि मद्रास हाईकोर्ट इस मामले पर काफी सक्रियता से नज़र बनाए हुए है और कोर्ट ने इस मामले में तमिलनाडु सरकार को एक रिपोर्ट पेश करने का भी निर्देश दिया है.