"बिन पानी सब सून", कहावत के बार बार सुनने के बाद भी हम मनुष्य उस पर गंभीरता से विचार नहीं करते हैं। बीते कुछ वर्षों में जिस तरह देश के विभिन्न राज्यों ने जल संकट देखा है, उसके बाद भी हम जल संचयन को लेकर गंभीर नहीं हुए हैं। 2018 का शिमला जल संकट हो, 2019 का चेन्नई जल संकट या फिर विदर्भ का जल संकट, पहाड़ों से लेकर मैदानों तक आज जल संकट की न केवल आहट बल्कि प्रत्यक्ष प्रमाण दिखने लगे हैं। देश के दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलांगना सहित अन्य कईं राज्यों में पहले ही भूजल स्तर लगभग शून्य की ओर जा चुका है। ऐसे में हाल ही में केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट हमें चौंकाती है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कर्नाटक का कोलार जिला देश में सर्वाधिक भूजल का दोहन कर रहा है। केंद्रीय भूजल बोर्ड द्वारा देश भर में सभी जिलों को कवर करते हुए भूजल की स्थिति का आकलन करने के बाद रिपोर्ट तैयार की गई है।
क्या कहती है रिपोर्ट -
"डायनेमिक ग्राउंड वाटर रिसोर्सेज असेसमेंट ऑफ इंडिया" शीर्षक वाली केंद्रीय भूजल बोर्ड की यह रिपोर्ट में बताती है कि राज्य में, कोलार को भूजल अति-शोषित जिले के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जहां से प्रतिवर्ष 199% तक भूजल का दोहन किया जा रहा है, इसके बाद चिक्काबल्लापुर (145 प्रतिशत) बेंगलुरु ग्रामीण (137 प्रतिशत) और बेंगलुरु शहरी जिला (138 प्रतिशत) सम्मिलित हैं। कोलार जिले में जहां वार्षिक भूजल दोहन की क्षमता 399 एमसीएम है, वहां हर वर्ष 799 एमसीएम जल का दोहन किया जा रहा है। इसमें से भी 753 एमसीएम जल का उपयोग केवल सिंचाई के उद्देश्य के लिए किया जा रहा है।
उडुपी जिला करता है सबसे कम भूजल दोहन -
रिपोर्ट के अनुसार कर्नाटक का ही उडुपी जिला सर्वाधिक काम जल निकासी करता है। जहां 604 एमसीएम वार्षिक जल दोहन की क्षमता के सामने उडुपी जिले में प्रतिवर्ष मात्र 143 एमसीएम भूजल ही निकाला जाता है। इस रिपोर्ट को मुख्यत: चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है, जिनमें सुरक्षित, अर्ध-गंभीर, गंभीर और अत्याधिक गंभीर श्रेणियाँ आती हैं। जिसमें कर्नाटक जिले की कुल 227 इकाइयां सम्मिलित हैं, कर्नाटक राज्य में जल दोहन के मामले में 130 जिलों को सुरक्षित, 35 जिलों को अर्ध-गंभीर, 10 जिलों को गंभीर और 52 जिलों को अत्याधिक गंभीर घोषित किया गया है।
क्या कहते हैं देश भर से लिए आँकड़े -
भारत में सर्वाधिक भूजल संसाधनों का उपयोग कृषि के कार्यों में किया जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक देश की वार्षिक जल निकासी 244.92 बीसीएम (बिलियन स्क्वेर मीटर) है, जबकि कृषि के लिए कुल वार्षिक भूजल निकासी 217.61 बीसीएम आँकी गई है, जो वार्षिक भूजल निकासी का 89 फीसदी है। वहीं 27.3 बीसीएम भूजल घरेलू और औद्योगिक उपभोग के लिए प्रयोग में लाया जा रहा है।
उत्तर भारतीय राज्यों का क्या है हाल -
दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में भूजल निष्कर्षण का चरण बहुत अधिक है, जहां यह 100 प्रतिशत से अधिक है, जिसका अर्थ है कि इन राज्यों में भूजल की खपत वार्षिक निकालने योग्य संसाधनों से अधिक है। तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, चंडीगढ़ और पुडुचेरी में भूजल निष्कर्षण का चरण 60-100 प्रतिशत के बीच है। शेष राज्यों में जल निकासी का चरण 60-100 प्रतिशत के बीच है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बाकी राज्यों में भूजल निकासी का स्तर 60 फीसदी से नीचे है।