पवित्र नदियों में बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम के लिए केन्द्र सरकार के साथ ही उत्तर- प्रदेश सरकार द्वारा भी लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, हालांकि नदियों की स्थिति में कुछ खास परिवर्तन देखने को नहीं मिल पाया है. सूबे में बहने वाली प्राचीन व पौराणिक नदियों के जल को पुनः पवित्र और निर्मल करने के लिए सरकार ने एक नया प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसके तहत उ.प्र. सरकार द्वारा अब नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए मनरेगा के फंड का प्रयोग किया जाएगा.
इसकी जानकारी प्रदेश सरकार के जल शक्ति मंत्री महेन्द्र सिंह ने दी. उन्होंने बताया, कि उ.प्र. सरकार सूबे की 6 प्राचीन नदियों (मंदाकिनी, वरूणा, गोमती, अरणावती, अरिल व मोरवा) के पुनर्रूद्धार के लिए मनरेगा के फंड का प्रयोग करेगी, जिसके अंतर्गत 42.3 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. जल शक्ति मंत्री के अनुसार, यह प्रोजेक्ट इन सभी नदियों के प्रवाह तंत्र के तहत ही 94.2 कि.मी. के क्षेत्र में फैला हुआ होगा तथा इसके अंतर्गत प्रयागराज, गोंडा, वाराणसी, बहराइच व चित्रकूट की आठ नदियों के पुनर्जीवन का कार्य भी किया जाएगा.
नदियों के पुनर्रूद्धार से जुड़े इस मिशन में नदियों के अध्ययन से लेकर उनके प्रवाह क्षेत्रों (वनों आदि) की सफाई तक शामिल है. महेन्द्र सिंह ने योगी सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मनरेगा का बजट 3000 करोड़ से बढ़ाकर 7500 करोड़ कर दिया है तथा प्रति प्रोजेक्ट फंड को 14 करोड़ से बढ़ाकर 25 करोड़ कर दिया है.
किन्तु सवाल यह है कि पौराणिक नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए शुरू किया जा रहा सरकार का यह नया मिशन अपने लक्ष्य तक पहुंच पाएगा अथवा अब तक नदियों की स्वच्छता को लेकर चलायी जा रही योजनाओं की भांति कागजों तक ही सीमित रह जाएगा.