गंगा नदी प्रदूषण में इजाफा कर रहे 180 उद्योगों पर सोमवार 21 मार्च को केंद्र सरकार ने रोक लगा दी है। गंगा को प्रदूषित कर रहे पांच राज्यों के 1080 कारखानों में से 190 को बंद कर दिया गया है और 165 अन्य औद्योगिक इकाइयों पर भी कार्यवाही की जा रही है, जो नियमों का उल्लंघन करते हुए पाई गई हैं। इन 165 इकाइयों में से नौ को बंद करते हुए अन्य को कारण बताओ नोटिस केंद्र सरकार के हवाले से भेजा गया है।
हाल ही में विभिन्न राज्यों में गंगा प्रदूषण को लेकर राज्यसभा में पूछे गए सवाल के लिखित जवाब में जल शक्ति राज्यमंत्री विशेश्वर टुडु ने जानकारी दी कि केंद्र सरकार ने पांच राज्यों के प्रदूषण बोर्ड के सहयोग व आपसी विचार विमर्श से अक्टूबर 2020-मार्च 2021 तक एक तकनीकी जांच का गठन किया था, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर राज्यों के प्रदूषण बोर्ड ने लगभग 190 औद्योगिक निकायों पर कार्यवाही की।
उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में की गई तकनीकी जांच के आधार पर निष्कर्ष निकालते हुए इन राज्यों के 1080 उद्योगों में से 190 को बंद कर दिया गया है, क्योंकि यह सभी राज्य प्रदूषण बोर्ड के द्वारा निर्मित नियमों का पालन नहीं कर रहे थे। वहीं बहुत से उद्योगों को कारण बताओ नोटिस भी भेजा गया है। साथ ही राज्यमंत्री ने बताया कि गंगा नदी की मुख्यधारा में प्रतिदिन तकरीबन 28 करोड़ लीटर अपशिष्ट छोड़ा जा रहा है, जिससे नदी अत्याधिक प्रदूषित हो रही है।
गौरतलब है कि गंगा नदी प्रदूषण पर पूरी तरह लगाम लगाने में सरकार की कोशिशें भी अभी तक असफल ही रही हैं।
2017-18 में भी केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट से यह स्पष्ट हुआ था कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल इत्यादि राज्यों में गंगा नदी के जैविक जल की गुणवत्ता में भारी गिरावट दर्ज की गई थी और आकलन किए गए 41 स्थानों में से 37 पर गंगा प्रदूषित पाई गई थी।
गंगा नदी की जैविक जल गुणवत्ता की तुलना (2017-18)
बताते चलें कि वर्तमान में प्रदूषण की अथाह मार झेल रही गंगा नदी जल प्रवाह की दृष्टि से भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे बड़ी नदी है। नदी का उद्गम उत्तराखंड राज्य में पश्चिमी हिमालय पर्वतमाला में है, उत्तर भारत के गंगा के मैदान से होकर उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार में बहती है और अंत में पश्चिम बंगाल में बंगाल की खाड़ी (सागर द्वीप) में गिरती है। बंगाल की खाड़ी के रास्ते में गंगा की कुल लंबाई लगभग 2,525 किमी है, जो बड़ी संख्या में सहायक नदियों जैसे यमुना, रामगंगा, पांडु, वरुण, गंडक, गोमती, कोसी और कई अन्य से मिलती है।