‘छत्तीसगढ़ की गंगा’ के नाम से प्रसिद्ध महानदी प्राचीनकाल से पूर्वी भारत की सभ्यता व संस्कृति को अपनी गोद में पालती- पोषती आ रही है. भारत की प्राचीनतम व पवित्रतम नदियों में से एक महानदी प्रमुख रूप से छत्तीसगढ़ व उड़ीसा राज्य में प्रवाहित होती है. नदी का उद्गम छत्तीसगढ़ के धतरी जिले के निकट सिहावा नामक पर्वत श्रेणी से होता है. महानदी को महानंदा नदी के नाम से भी जाना जाता है.
करीब 857 कि.मी. का सफर तय करते हुए यह नदी कटक नगर के समीप महानदी डेल्टा पर कई धाराओं में विभाजित होकर बंगाल की खाड़ी में समुद्र में समाहित हो जाती है. उड़ीसा व छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी नदी होने के साथ ही यह नदी भारत की छठवीं सबसे लम्बी नदी के रूप में भी जानी जाती है. इसके अलावा संबलपुर में बने प्रसिद्ध हीराकुंड बांध के साथ ही गंगरेल व रूद्री नामक बांध भी इसी नदी पर बने हुए हैं.
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि –
महानदी भारत की अत्यन्त प्राचीन व ऐतिहासिक नदी है, जिसका उल्लेख हिन्दू ग्रंथों रामायण व महाभारत में भी देखने को मिलता है. प्राचीनकाल में इस नदी को चित्रोत्पला व नीलोत्पला नाम से भी जाना जाता था. नदी का इतिहास युगों पुराना है. रामायण काल में वनवास के दौरान भगवान श्री राम अपनी पत्नी सीता व भाई लक्ष्मण के साथ जिस दण्डकारण्य वन में रहते थे, वह छत्तीसगढ़ (तत्कालीन दक्षिण कोशल) के अंर्तगत आता था. दण्डकारण्य वन के समीप महानदी व गोदावरी नदी प्रवाहित होती थी. धार्मिक इतिहास से जुड़े होने के कारण इस नदी के तट पर कई तीर्थ व मंदिर बने हुए हैं.
सहायक नदियां –
सिहासा ने निकलने के बाद महानदी अत्यन्त संक्षिप्त धारा के रूप में प्रवाहित होती है तथा पैरी और सोंढुर नदी जब इसमें आकर मिलती हैं, तब यह नदी महानदी के रूप में आती है. इसके बाद रायपुर के निकट शिवनाथ नदी से मिलने के बाद महानदी पूर्व दिशा की ओर मुड़ जाती है और संबलपुर के माध्यम से उड़ीसा राज्य में प्रवेश करती है.
सिहावा से बंगाल की खाड़ी तक के सफर में महानदी विभिन्न जिलों से होकर गुजरती है. इस दौरान बांयी दिशा से सोढूंर, पैरी, शिवनाथ, अरपा व हसदेव नदी इसमें आकर मिलती हैं, वहीं दाहिनी दिशा से खारून, जोंक, सुरंगी व जमुनिया नदियां महानदी में समाहित होती हैं. यह नदी मुख्य रूप से रायपुर, बस्तर, बिलासपुर, कटक, चंपारण व संबलपुर में बहती है.
उड़ीसा का शोक –
छत्तीसगढ़ राज्य में जीवनदायिनी नदी का दर्जा प्राप्त करने वाली महानदी को पड़ोस में स्थित उड़ीसा राज्य में प्रवेश करते ही ‘शोक’ कहा जाने का लगता है. अपने 857 कि.मी. लम्बे सफर के अंतर्गत यह नदी 494 कि.मी. की दूरी उड़ीसा राज्य में ही तय करती है, लेकिन राज्य को हरा- भरा व उपजाऊ बनाने वाली यह नदी अक्सर प्रदेश के विनाश का कारण भी बन जाती है. दरअसल, उड़ीसा में प्रतिवर्ष भीषण बाढ़ आती है, जिसमें महानदी की अहम भूमिका रहती है. जिसके चलते राज्य को प्रतिवर्ष बड़े स्तर पर जान- माल की हानि होती है, साथ ही कृषि व व्यावसायिक नुकसान भी उठाना पड़ता है. इसी वजह से महानदी को ‘उड़ीसा का शोक’ कहा जाता है.
महानदी विवाद –
कावेरी नदी की भांति ही पूर्व में बहने वाली महानदी नदी के जल के बंटवारे को लेकर छत्तीसगढ़ व उड़ीसा राज्य में विवाद जल रहा है. यह विवाद करीब 33 साल पुराना है, लेकिन 2016 में महानदी पर बनने वाले बांधों के चलते इस विवाद ने और अधिक तूल पकड़ लिया था.
दरअसल महानदी पर सबसे बड़ा बांध हीराकुंड बांध है, जिस पर एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील बनी हुई है. यह बांध उड़ीसा में बना हुआ है. वहीं 2016 में छत्तीसगढ़ में महानदी पर बन रहे सात मंजिला बांध को लेकर उड़ीसा सरकार ने आपत्ति जतायी. उड़ीसा सरकार का मानना था कि, छत्तीसगढ़ के बांध बड़ी संख्या में जल अधिग्रहीत कर लेंगे, जिससे हीराकुंड बांध व उड़ीसा को कम पानी मिलेगा. जिसके तहत उड़ीसा सरकार ने तीन माह के लिए छत्तीसगढ़ सरकार से नदी पर चल रहे प्रोजेक्ट्स को रोकने की अपील भी की थी.