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कुकरैल रिवर फ्रंट: लखनऊ के पर्यावरणीय पुनर्निर्माण का एक प्रयास, प्राकृतिक धरोहर को संबल

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  • September-09-2024

लखनऊ की ऐतिहासिक धरोहरों और समृद्ध संस्कृति में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है—कुकरैल रिवर फ्रंट। गोमती नदी की सहायक कुकरैल नदी, जो कभी जीवनदायिनी हुआ करती थी, शहरीकरण और अतिक्रमण की मार झेलते हुए एक छोटे से नाले में सिमट गई थी। लेकिन 2021 में उत्तर प्रदेश सरकार ने इस ऐतिहासिक धरोहर को पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया। अब इस प्राचीन नदी को फिर से उसका खोया वैभव लौटाया जा रहा है, और इसे एक आकर्षक इको-टूरिज्म हब के रूप में विकसित किया जा रहा है। कुकरैल रिवर फ्रंट न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह लखनऊ के नागरिकों और पर्यटकों के लिए एक नई जीवनशैली का प्रतीक भी बनने जा रहा है—जहां आधुनिकता और प्रकृति का अद्वितीय संगम देखने को मिलेगा।

कुकरैल रिवर फ्रंट परियोजना: एक नई पहचान की ओर

कुकरैल नदी, जो कभी अपने निर्मल जल से क्षेत्र की खुशहाली का प्रतीक थी, समय के साथ अतिक्रमण और शहरीकरण की चपेट में आकर अपनी पहचान खो चुकी थी। अब, शासन और प्रशासन मिलकर इस नदी को उसके पुराने गौरवशाली स्वरूप में लौटाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। कुकरैल रिवर फ्रंट परियोजना के तहत साबरमती रिवर फ्रन्ट की तर्ज पर इस नदी को न केवल पुनर्जीवित किया जा रहा है, बल्कि इसे एक ऐसी इको-टूरिज्म डेस्टिनेशन में तब्दील किया जा रहा है जो शहर की पहचान का नया केंद्र बनेगी।

नदी किनारे का सौंदर्यीकरण से लेकर नाइट सफारी और एडवेंचर एक्टिविटीज़ तक, यह परियोजना न केवल कुकरैल की अविरल धारा को लौटाने का वादा करती है, बल्कि लखनऊ के लोगों को एक ऐसा स्थल प्रदान करेगी जहां वे प्रकृति के साथ सुकून के पल बिता सकेंगे। यह परियोजना न सिर्फ़ लखनऊ की सांस्कृतिक और पर्यावरणीय धरोहर को सहेजने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक नई पर्यावरण-संवेदनशील जीवनशैली को प्रोत्साहित करने का प्रयास भी है।

कुकरैल में नालों की टैपिंग और एसटीपी का निर्माण: प्रदूषण मुक्त भविष्य की पहल 

कुकरैल नदी को पुनर्जीवित करने की इस महत्वाकांक्षी परियोजना का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है—नालों की टैपिंग और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का निर्माण। दशकों से, शहर के गंदे नालों और अव्यवस्थित सीवेज प्रणाली ने इस नदी को गंभीर प्रदूषण की स्थिति में ला खड़ा किया था। अब, इस नदी को फिर से स्वच्छ और प्रवाहमय बनाने के लिए सरकार ने बहुस्तरीय योजनाएं शुरू की हैं।

-लखनऊ की ऐतिहासिक धरोहरों और समृद्ध संस्कृति में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है—कुकरैल रिवर फ्रंट। ग

कुकरैल में गिरने वाले 39 नालों को रोकने का कार्य मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। पहले चरण में 17 नालों को टैप कर 95% कार्य पूरा हो चुका है, जिससे गंदगी का प्रवाह नदी में रुकने लगा है। दूसरे चरण में 22 और नालों को टैप कर 6 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रति दिन) अशोधित सीवेज को रोका जाएगा।

परियोजना का मुख्य आकर्षण 40 एमएलटी (मिलियन लीटर प्रति टन) क्षमता का एसटीपी है, जो कुकरैल में शोधित पानी छोड़ने के लिए बनाया जा रहा है। यह ट्रीटमेंट प्लांट, अकबरनगर में अवैध निर्माण को हटाकर बनाई गई 1.50 हेक्टेयर भूमि पर निर्मित किया जा रहा है, जो इस नदी के जल प्रवाह को पुनर्जीवित करने में अहम भूमिका निभाएगा।

-लखनऊ की ऐतिहासिक धरोहरों और समृद्ध संस्कृति में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है—कुकरैल रिवर फ्रंट। ग

कुकरैल नाइट सफारी: इको-टूरिज्म का अहम केंद्र

लखनऊ के दिल में बसी कुकरैल नाइट सफारी, भारत की पहली नाइट सफारी के रूप में उभरने जा रही है। यह परियोजना न केवल लखनऊ को वैश्विक पर्यटन के नक्शे पर लाएगी, बल्कि यह पर्यटकों को वन्य जीवन का अनोखा अनुभव भी प्रदान करेगी। कुकरैल नाइट सफारी अपने आप में एक ऐसा इको-टूरिज्म हब होगा, जो प्रकृति प्रेमियों और साहसिक यात्रियों के लिए एक अद्वितीय आकर्षण का केंद्र बनेगा।

यहां आने वाले पर्यटक 5.5 किलोमीटर ट्राम-वे और 1.92 किलोमीटर पाथ-वे के जरिए सफारी का आनंद उठा सकेंगे, जहां वे बंगाल टाइगर, एशियाई शेर, घड़ियाल, तेंदुआ, उड़न गिलहरी, और हायना जैसे रोमांचक वन्य जीवों को रात के अंधेरे में देख सकेंगे। सफारी में 42 इनक्लोजर्स में 54 प्रजातियों के जानवर रखे जाएंगे, जिन्हें इंडियन वॉकिंग ट्रेल, इंडियन फुटहिल, इंडियन वेटलैंड, और अफ्रीकन वेटलैंड जैसी विशिष्ट थीम पर आधारित क्षेत्रों में रखा जाएगा, जो इसे और भी खास बनाएंगे।

कुकरैल नाइट सफारी न केवल वन्य जीव प्रेमियों के लिए एक सपना साकार करेगी, बल्कि यह एडवेंचर एक्टिविटी और प्राकृतिक सौंदर्य का मिश्रण भी होगी। दोनों किनारों पर विकसित किए जाने वाले सुंदर पार्क, सैर-सपाटे और परिवार के साथ समय बिताने के लिए आदर्श स्थान बनेंगे। यह नाइट सफारी लखनऊ की नई पहचान बनेगी और आने वाले समय में इको-टूरिज्म का प्रतीक मानी जाएगी, जो शहर के विकास और पर्यावरण संरक्षण दोनों के संतुलन को दर्शाएगी।

अवैध निर्माण हटाकर पुनर्जीवित होते जल स्रोत

कुकरैल नदी का पुनरुद्धार केवल एक परियोजना नहीं है, बल्कि यह शहर के खोए हुए जल स्रोतों को नया जीवन देने का एक व्यापक अभियान है। दशकों से शहरीकरण और अवैध कब्जों के चलते कुकरैल नदी और उसके आसपास के क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित होते आए हैं। पर अब, शासन-प्रशासन ने इन अवैध निर्माणों के खिलाफ कठोर कार्रवाई कर जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं।

-लखनऊ की ऐतिहासिक धरोहरों और समृद्ध संस्कृति में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है—कुकरैल रिवर फ्रंट। ग

अकबरनगर में हुए बड़े पैमाने पर अतिक्रमणों को हटाकर करीब 24.5 एकड़ भूमि को पुनः नदी के लिए खाली किया गया है। इसमें 1169 मकानों और 101 व्यावसायिक निर्माणों को ध्वस्त कर, कुकरैल के प्रवाह के लिए रास्ता खोला गया है। यह व्यापक अभियान दिसंबर 2023 में शुरू होकर अनवरत चलता रहा और आखिरकार जून 2024 में इस क्षेत्र को पूरी तरह से अतिक्रमण मुक्त कर दिया गया।

अतिक्रमणों से मुक्त इस क्षेत्र को अब एक इको-टूरिज्म हब के रूप में विकसित किया जा रहा है। कुकरैल नदी का उद्गम स्थल बख्शी का तालाब के पास स्थित दशौली गांव को मानते हुए वहीं से पुनर्विकास शुरू किया जाएगा। इसके साथ ही सभी तालाबों को आपस में जोड़ने का कार्य किया जा रहा है ताकि यहां का जल स्तर बरकरार रहे और क्षेत्र में स्वच्छ जल की आपूर्ति होती रहे।

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इस पहल से न केवल जल स्रोतों का पुनर्जीवन होगा बल्कि यह लखनऊ के पर्यावरण संतुलन में महत्वपूर्ण योगदान देगा। कुकरैल रिवर फ्रंट परियोजना के माध्यम से अवैध निर्माणों के खात्मे ने जल संरक्षण और स्वच्छता के प्रति नई जागरूकता पैदा की है, जो आने वाले समय में एक स्थायी पर्यावरणीय सुधार की दिशा में अहम कदम साबित होगी।

बख्शी के तालाब से कुकरैल का पुनर्विकास: एक धरोहर को पुनर्जीवन 

कुकरैल नदी, जिसका उद्गम स्थल बख्शी का तालाब के पास स्थित दशौली गांव में है, अब अपने खोए हुए गौरव को पुनः प्राप्त करने की ओर अग्रसर है। लंबे समय तक शहरीकरण और अतिक्रमण से प्रभावित इस नदी को पुनर्जीवित करने का कार्य शासन और प्रशासन की प्राथमिकताओं में शामिल हो गया है। कुकरैल के पुनर्विकास की यह पहल न केवल इस ऐतिहासिक धारा को पुनः संजीवनी देगी, बल्कि इसे एक आधुनिक और पर्यावरण-अनुकूल संरचना में भी बदल देगी।

दशौली गांव से ही नदी के विकास की योजना की शुरुआत की जा रही है। इस प्रयास के तहत यहां मौजूद तालाबों को आपस में इंटरलिंक करके एक सशक्त जल संरचना तैयार की जा रही है। इन जल निकायों को जोड़ने से कुकरैल नदी में जल प्रवाह बढ़ेगा और क्षेत्र में स्वच्छ जल की आपूर्ति का प्रमुख स्रोत बनेगा। यह नदी, जो कभी ग्रामीण इलाकों में सिंचाई और पेयजल का मुख्य स्त्रोत थी, अब एक बार फिर से अपनी पुरानी भूमिका निभाने की दिशा में अग्रसर हो रही है।

-लखनऊ की ऐतिहासिक धरोहरों और समृद्ध संस्कृति में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है—कुकरैल रिवर फ्रंट। ग

इसके साथ ही नगर विकास विभाग और अन्य संबंधित विभागों की देखरेख में यहां नई परियोजनाएं मूर्त रूप ले रही हैं। आने वाले समय में इको-टूरिज्म के हब के रूप में कुकरैल का विकास इसे न केवल एक पर्यावरणीय मॉडल बनाएगा बल्कि लोगों को जल संरक्षण और पारिस्थितिक संतुलन के महत्व से भी अवगत कराएगा। यह पुनर्विकास न केवल कुकरैल नदी के अस्तित्व को पुनः स्थापित करेगा बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक जीवंत धरोहर भी छोड़ेगा, जो जल स्रोतों और प्राकृतिक संसाधनों के प्रति हमारी जिम्मेदारियों की याद दिलाता रहेगा।

कुकरैल नदी का ऐतिहासिक महत्व: एक प्राकृतिक धरोहर की गौरवगाथा

कुकरैल नदी, जो लखनऊ की प्राचीन धरोहरों में से एक है, न केवल एक नदी के रूप में बल्कि एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धारा के रूप में भी विशेष महत्व रखती है। दशौली गांव के पास स्थित बख्शी का तालाब से निकलने वाली यह नदी कभी 28 किलोमीटर लंबी धारा के रूप में गोमती नदी की एक महत्वपूर्ण सहायक हुआ करती थी। स्थानीय इतिहास में इस नदी का जल न केवल सिंचाई और पेयजल का प्रमुख स्रोत था, बल्कि इसकी धारा को पवित्र और औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता था।

-लखनऊ की ऐतिहासिक धरोहरों और समृद्ध संस्कृति में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है—कुकरैल रिवर फ्रंट। ग

कुकरैल का इतिहास केवल पानी की एक कहानी मात्र नहीं है, बल्कि यह उस विश्वास और आस्था से भी जुड़ा है, जो सदियों से यहां के लोगों ने इस नदी पर जताया है। माना जाता था कि इस नदी के जल में स्नान करने से रैबीज जैसी गंभीर बीमारी ठीक हो जाती थी। आज भी बख्शी का तालाब और आस-पास के लोग इस मान्यता को संजोए हुए हैं, और कई लोग यहां स्नान करने आते हैं।

यह नदी कभी लखनऊ के ग्रामीण इलाकों में खेती के लिए जीवनरेखा के रूप में जानी जाती थी। इसके पानी से खेतों की सिंचाई होती थी और यह गाँवों के पेयजल का प्रमुख स्रोत थी। लेकिन समय के साथ शहरीकरण और अनियंत्रित अतिक्रमण ने इस ऐतिहासिक धारा को नाले का रूप दे दिया। कभी शक्तिशाली धारा बहाने वाली कुकरैल अब शहर के गंदे नालों का शिकार हो गई और उसकी पहचान एक प्रदूषित धारा तक सिमट गई।

फिर भी, कुकरैल के इतिहास में अनेकों कहानियाँ समाहित हैं—आस्था, पर्यावरणीय संरक्षण, और मानव जीवन से जुड़े उसके अनगिनत पहलू। यह केवल एक नदी नहीं, बल्कि एक जीवंत धरोहर है, जिसने कई पीढ़ियों को अपने जल से पोषित किया। इस नदी के प्रति लोगों की भावनाएँ इतनी गहरी हैं कि लखनऊ के पूर्व विधायक स्व आशुतोष टंडन स्वयं बाल्यकाल के एक किस्सा साझा करते हुए बताते थे कि जब बचपन में एक कुत्ते ने उन्हें काट लिया था, तो उन्हें कुकरैल के जल में स्नान कराया गया था, और यह मान्यता आज भी ग्रामीण इलाकों में मानी जाती है।

कुकरैल का इतिहास इसके पुनरुद्धार को और भी विशेष बनाता है। जब यह नदी फिर से अपनी पुरानी धारा में लौटेगी, तो यह केवल जल स्रोत नहीं बल्कि लखनऊ की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर के रूप में एक बार फिर से स्थापित होगी। इसके पुनर्विकास का यह सफर लखनऊ के अतीत को उसके वर्तमान से जोड़ता है, और भविष्य के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत करता है।

कुकरैल नदी की पुनःस्थापना - भविष्य की धरोहर और गोमती नदी को संजीवनी

कुकरैल नदी का पुनरुद्धार केवल एक पर्यावरणीय परियोजना नहीं, बल्कि लखनऊ की प्राचीन धरोहर गोमती नदी को संजीवनी देने का एक प्रेरणादायक प्रयास है। वर्षों के अतिक्रमण और प्रदूषण ने इसे भले ही एक नाले में तब्दील कर दिया हो, लेकिन कुकरैल नदी का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व आज भी अटूट है। इस परियोजना के माध्यम से न केवल नदी को पुनर्जीवित किया जा रहा है, बल्कि इसे इको-टूरिज्म हब के रूप में विकसित करके आने वाली पीढ़ियों के लिए एक विरासत के रूप में संरक्षित किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में चल रही इस पहल ने न केवल नदी को उसकी प्राकृतिक धारा में लौटाने का संकल्प लिया है, बल्कि इसके तटों को प्रदूषण मुक्त और सौंदर्यपूर्ण बनाने की दिशा में भी ठोस कदम उठाए हैं। नाइट सफारी, इको पार्क, और जल निकायों के पुनरुद्धार जैसी योजनाएं इस परियोजना को एक पर्यावरणीय और सांस्कृतिक मॉडल के रूप में स्थापित करेंगी।

कुकरैल का यह पुनरुत्थान लखनऊ के लोगों को उनकी जड़ों से जोड़ता है और इसके साथ ही यह गोमती नदी को भी महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करेगा। गोमती नदी, जो वर्षों से प्रदूषण की मार झेल रही है, अब कुकरैल के पुनरुद्धार से लाभान्वित होगी। कुकरैल नदी से होने वाली जल निकासी और उसकी स्वच्छता गोमती नदी के जल गुणवत्ता में सुधार लाने में मददगार साबित होगी, जिससे शहर का पर्यावरणीय संतुलन बेहतर होगा।

यह परियोजना आने वाले समय में न केवल लखनऊ के पर्यावरण को पुनर्जीवित करेगी, बल्कि इसे एक नई पहचान भी देगी—एक ऐसी पहचान, जो इतिहास और आधुनिकता का अनूठा संगम होगी। कुकरैल नदी का यह पुनर्निर्माण न केवल प्रकृति की शक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह इस बात का संदेश भी है कि यदि हम अपने प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करने का संकल्प लें, तो हम अपनी धरोहरों को पुनः प्राप्त कर सकते हैं और उन्हें भविष्य के लिए संरक्षित कर सकते हैं।

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पानी की कहानी - नीम नदी को पुनर्जीवन देने के भागीरथ प्रयास हुए शुरू

पानी की कहानी - नीम नदी को पुनर्जीवन देने के भागीरथ प्रयास हुए शुरू

नीम नदी को उसके उद्गम स्थल पर पुनर्जीवित करने के पुनीत कार्य का बीड़ा नीर फाउंडेशन ने उठाया है और प्रकृति व पर्यावरण की अनूठी धरोहर नदियों ओ ...

पानी की कहानी - नर्मदा निर्मलता से जुड़े कुछ विचारणीय सुझाव

पानी की कहानी - नर्मदा निर्मलता से जुड़े कुछ विचारणीय सुझाव

नीति पहले, कार्ययोजना बाद मेंकिसी भी कार्ययोजना के निर्माण से पहले नीति बनानी चाहिए। नीतिगत तथ्य, एक तरह से स्पष्ट मार्गदर्शी सिद्धांत होते ...

पानी की कहानी - हिंडन नदी : एक परिचय

पानी की कहानी - हिंडन नदी : एक परिचय

कालुवाला खोल अर्थात हिण्डन नदी सहारनपुर जनपद में शिवालिक की पहाडियो कालुवाला पास से प्रारम्भ होती है । यह बरसाती नदी है । इसमे छोटी अन्य सहा...

Exhibition and Workshop on Urban Water System in Gurgaon: Pathways to Sustainable Transformation

Exhibition and Workshop on Urban Water System in Gurgaon: Pathways to Sustainable Transformation Event

As we all knows that big cities change rapidly, people moving into them can struggle for access to basic services like clean water and san...

नेशनल वाटर कांफ्रेंस एवं "रजत की बूँदें" नेशनल अवार्ड ऑनलाइन वेबिनार 26 जुलाई 2020

नेशनल वाटर कांफ्रेंस एवं "रजत की बूँदें" नेशनल अवार्ड ऑनलाइन वेबिनार 26 जुलाई 2020 Event

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पानी की कहानी - लॉक डाउन के नियमों का उल्लंघन करते हुए जारी है यमुना नदी से अवैध खनन

पानी की कहानी - लॉक डाउन के नियमों का उल्लंघन करते हुए जारी है यमुना नदी से अवैध खनन

जहां एक ओर कोरोना और लॉक डाउन के चलते जनजीवन अस्त व्यस्त सा हो गया है और लोगों के सामने स्वस्थ रहते हुए आजीविका चलाना सबसे बड़ी वरीयता बनकर र...

Acute Encephalitis Syndrome Reduction through Promotion of Environmental Sanitation and Safe Drinking Water Practices

Acute Encephalitis Syndrome Reduction through Promotion of Environmental Sanitation and Safe Drinking Water Practices

Abstract: Water management and safe sanitation play an important role in controlling vector borne diseases in the tropical countries like...

पचनदा बांध परियोजना - डैम प्रोजेक्ट पूरा होने से बीहड़ांचल को मिलेगा धार्मिक महत्त्व, बनेगा पर्यटन केंद्र

पचनदा बांध परियोजना - डैम प्रोजेक्ट पूरा होने से बीहड़ांचल को मिलेगा धार्मिक महत्त्व, बनेगा पर्यटन केंद्र

भारत में नदियों का धार्मिक महत्त्व किसी से छिपा नहीं है, युगों से नदियों किनारे लगने वाले पौराणिक मेले, स्थापित मंदिर, मठ, आश्रम, तपस्थली आद...

पानी की कहानी - हिंडन को प्रदूषण मुक्त करने के लिए एनजीटी ने शुरू किये प्रयास, पर्यावरण विशेषज्ञों ने जन सहभागिता को बताया अहम

पानी की कहानी - हिंडन को प्रदूषण मुक्त करने के लिए एनजीटी ने शुरू किये प्रयास, पर्यावरण विशेषज्ञों ने जन सहभागिता को बताया अहम

राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने हिंडन नदी के साथ साथ काली नदी को भी स्वच्छ बनाने की कवायद शुरू की है. मेरठ में कमीश्नर के रूप में कार्य करते हुए...

मनियारी नदी - शहर भर के कचरे का डंपिंग स्टेशन बनती एक सदानीरा नदी की कहानी

मनियारी नदी - शहर भर के कचरे का डंपिंग स्टेशन बनती एक सदानीरा नदी की कहानी

"जल है तो कल है", जाने किंतनी बार हम सभी ने ये पंक्तियां सुनी हैं. गाहे-बगाहे पर्यावरण प्रेमी, जल संरक्षण संस्थाओं, सामाजिक-राजनीतिक व्यक्ति...

पानी की कहानी - कचरा डंपिंग ने भूगर्भीय जल को बना दिया विषैला, सरकार को नियम बनाने में लग गए 49 साल

पानी की कहानी - कचरा डंपिंग ने भूगर्भीय जल को बना दिया विषैला, सरकार को नियम बनाने में लग गए 49 साल

"घैला के पास से लिए गए पानी के नमूनों की जाँच करने पर उनमें लेड और क्रोमियम जैसे विषैले हैवी मेटल्स मिले हैं. साथ ही जिंक, कॉपर, आयरन, निकेल...

खारुन नदी - जहरीली होती जा रही है रायपुर की जीवन रेखा खारुन नदी, समय रहते संरक्षण जरुरी

खारुन नदी - जहरीली होती जा रही है रायपुर की जीवन रेखा खारुन नदी, समय रहते संरक्षण जरुरी

छत्तीसगढ़ के रायपुर में युगों से बहने वाली "खारुन नदी" शहर के लगभग 15 लाख लोगों के लिए जल और जीवन का स्त्रोत है. "रायपुर में "खारुन महतारी" क...

पहुज नदी - धीरे धीरे मर रही एक प्राचीन नदी की कहानी

पहुज नदी - धीरे धीरे मर रही एक प्राचीन नदी की कहानी

सनातनी धार्मिक ग्रन्थों में पुष्पावती के नाम से जानी जाने वाली "पहुज नदी" यमुना की सहायक काली सिंध नदी की सहायक मानी जाती है. बुंदेलखंड वासि...

कंडवा नदी – समाज और प्रशासन की अवहेलना झेल रही कंडवा की कब बदलेगी तस्वीर?

कंडवा नदी – समाज और प्रशासन की अवहेलना झेल रही कंडवा की कब बदलेगी तस्वीर?

लखीमपुर खीरी को छोटी काशी की उपाधि दी जाती है, जिसका सबसे बड़ा कारण यहां उपस्थित सरिताएं और उनके तटों पर सुशोभित मंदिर एवं आश्रम हैं. गोमती, ...

उल्ल नदी - औद्योगिक प्रदूषण, सीवेज और अवैध अतिक्रमण से जूझ रही है शारदा की यह सहायक

उल्ल नदी - औद्योगिक प्रदूषण, सीवेज और अवैध अतिक्रमण से जूझ रही है शारदा की यह सहायक

हिमालय की तलहटी में बसा पीलीभीत जिला अपनी सघन वन संपदा, जैविक विविधता और जल संग्रहण क्षेत्र के लिए जाना जाता है. दलदली भूमि होने के चलते यहा...

कठिना नदी - विभिन्न स्थानों पर सूख गयी है गोमती की यह प्रमुख सहायक

कठिना नदी - विभिन्न स्थानों पर सूख गयी है गोमती की यह प्रमुख सहायक

मानवीय शरीर में धमनियां रक्त संचरण करती हैं और हृदय को पोषित करते हुए समस्त शरीर की कार्यप्रणाली को सुचारू बनाये रखने में अहम भूमिका निभाती ...

पानी की कहानी - बिहार जल प्रदूषण के बीच हर घर शुद्ध जल के सरकारी दावों की योजना

पानी की कहानी - बिहार जल प्रदूषण के बीच हर घर शुद्ध जल के सरकारी दावों की योजना

बिहार के उप मुख्यमन्त्री श्री सुशील कुमार मोदी ने हाल ही में इंडियन वाटर वर्कर्स एसोसिएशन के 52वें वार्षिक सम्मेलन के समापन समारोह को सम्बोध...

अरवरी नदी - सामुदायिक संकल्पों से पुनर्जीवित हुयी एक मृत नदी की कहानी

अरवरी नदी - सामुदायिक संकल्पों से पुनर्जीवित हुयी एक मृत नदी की कहानी

नदियां हमारे जनजीवन से जुड़ा वह अहम आधार हैं, जिनके बिना जीने की हम कल्पना भी नहीं कर सकते. सनातनी संस्कृति में नदियों को मां मानकर पूजे जाने...

पानी की कहानी - गंगा संरक्षण आवश्यक, फिर गंगा बेसिन की सहायकों, जलाशयों, भूगर्भीय जल स्त्रोतों की अनदेखी क्यों?

पानी की कहानी - गंगा संरक्षण आवश्यक, फिर गंगा बेसिन की सहायकों, जलाशयों, भूगर्भीय जल स्त्रोतों की अनदेखी क्यों?

भारत की आधी से अधिक जनसंख्या का पालन पोषण एक मां के समान करती है गंगा. प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष..हर देशवासी कहीं न कहीं इसी गंगत्त्व से जुड़...

पानी की कहानी - अटल भूजल योजना के जरिये घर घर पानी पहुँचाने का मोदी सरकार का मिशन

पानी की कहानी - अटल भूजल योजना के जरिये घर घर पानी पहुँचाने का मोदी सरकार का मिशन

पूर्व प्रधानमंत्री स्व अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म जयंती के अवसर पर सरकार ने उन्हें श्रृद्धा अर्पित करने के लिए दो अहम योजनाओं का प्रारम्भ कि...

पानी की कहानी - गाज़ियबाद में हिंडन को स्वच्छ करने का अभियान, नालों के पानी को साफ़ करने के लिए बनेगा ट्रीटमेंट प्लांट

पानी की कहानी - गाज़ियबाद में हिंडन को स्वच्छ करने का अभियान, नालों के पानी को साफ़ करने के लिए बनेगा ट्रीटमेंट प्लांट

हिंडन को प्रदुषण मुक्त बनाने के लिए गाज़ियाबाद नगर निगम नया सीवर ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की तैयारी कर रहा है. गौरतलब है कि गाज़ियाबाद में शहरी ...

दाहा नदी - लुप्त होने की कगार पर है सीवान जिले की जीवनरेखा, संरक्षण के प्रयास जरुरी

दाहा नदी - लुप्त होने की कगार पर है सीवान जिले की जीवनरेखा, संरक्षण के प्रयास जरुरी

विगत तीन दशकों से प्रदूषण की मार झेल रही बाणेश्वरी यानि दाहा नदी की कहानी भी देश की बहुत सी छोटी नदियों की ही तरह है, जो कभी अपनी अविरल प्रव...

फल्गु नदी - अतिक्रमण और प्रदूषण की मार झेल रही है आस्था की प्रतीक रही फल्गु नदी

फल्गु नदी - अतिक्रमण और प्रदूषण की मार झेल रही है आस्था की प्रतीक रही फल्गु नदी

ऐतिहासिक फल्गु नदी, जो हिन्दुओं के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र बनकर पवित्र गया नगरी में बहती है, आज प्रदूषण और अतिक्रमण के चलते पूरी तरह सूख ...

भैंसी नदी -  विगत एक दशक से सूखी पड़ी है गोमती की यह सहायक

भैंसी नदी - विगत एक दशक से सूखी पड़ी है गोमती की यह सहायक

नदियां, जो महज पानी ढोने वाला मार्ग ही नहीं हैं, बल्कि इनके किनारे समस्त इतिहास, समग्र विरासत और तहजीब के किस्से समाये होते हैं. ऋग्वेद के अ...

प्रदूषण कर रहा है हमारे वायु, आहार और जल को विषाक्त - माइक्रोफारेस्ट बनाकर धरती को दे सकते हैं पुनर्जीवन

प्रदूषण कर रहा है हमारे वायु, आहार और जल को विषाक्त - माइक्रोफारेस्ट बनाकर धरती को दे सकते हैं पुनर्जीवन

प्रदूषित पर्यावरण दुनिया के लिए समस्या बनता जा रहा है। इससे निपटने के लिए सरकारें नई-नई पॉलिसी ला रही हैं। जिसमें पौधरोपण, सिंगल यूज्ड प्लास...

पानी की कहानी - मर रही हैं हमारी बारहमासी नदियां, पारिस्थितिक और सांस्कृतिक संवर्धन जरुरी

पानी की कहानी - मर रही हैं हमारी बारहमासी नदियां, पारिस्थितिक और सांस्कृतिक संवर्धन जरुरी

मीठे पानी के पारिस्थितिकी तंत्र के साथ अत्यधिक छेड़खानी ने भारत की हर नदी के प्राकृतिक परिदृश्य, उसके स्वरूप और प्रवाह को प्रभावित किया है। प...

प्राकृतिक जल स्त्रोतों के लिए धीमा जहर है प्लास्टिक – समय रहते बचाव जरुरी

प्राकृतिक जल स्त्रोतों के लिए धीमा जहर है प्लास्टिक – समय रहते बचाव जरुरी

तमाम विश्व आज प्लास्टिक की मार से कराह रहा है। अमेरिका जैसा विकसित देश हो या भारत जैसा विकासशील सभी प्लास्टिक के उपयोग से बढ़ने वाली दुश्वार...

पानी की कहानी - गाज़ियाबाद, गौतमबुद्धनगर और सहारनपुर जिले बना रहे हैं हिंडन को बीमार

पानी की कहानी - गाज़ियाबाद, गौतमबुद्धनगर और सहारनपुर जिले बना रहे हैं हिंडन को बीमार

जिन जिलों को वर्षों से हिंडन अपने जल, जैविक विविधता से पोषित करती आ रही थी, आज वही जिले हिंडन की बदहाली के जिम्मेदार बने हुए हैं. हाल ही में...

पानी की कहानी- मानक से अधिक हो रहा कीटनाशक का इस्तेमाल, नाले के जहरीले पानी से 25 भैंसो की मौत

पानी की कहानी- मानक से अधिक हो रहा कीटनाशक का इस्तेमाल, नाले के जहरीले पानी से 25 भैंसो की मौत

दूषित पानी का जहर सिर्फ मनुष्यों को ही बीमार नहीं कर रहा बल्कि अब जानवर भी इसके शिकार हो रहे हैं. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के चिनहट औद्य...

पानी की कहानी- यमुना के पश्चिमी तट के बाद पूर्वी तट का होगा सौन्दर्यीकरण

पानी की कहानी- यमुना के पश्चिमी तट के बाद पूर्वी तट का होगा सौन्दर्यीकरण

दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा यमुना नदी के पश्चिमी तट का सफलतापूर्वक कायाकल्प कर दिया गया है. प्राधिकरण ने नदी के पूर्वी तट के सौन्...

पानी की कहानी - गायब हो रहा है गोमुख ग्लेशियर, खतरे में गंगा का अस्तित्व

पानी की कहानी - गायब हो रहा है गोमुख ग्लेशियर, खतरे में गंगा का अस्तित्व

भारत की प्रमुख व पवित्रतम मानी जाने वाली गंगा नदी एक तरफ जहां प्रदूषण का विकराल दंश झेल रही है, वहीं दूसरी ओर इसकी जलधारा को स्त्रोत देने वा...

पानी की कहानी - मनरेगा फंड से होगा नदियों का पुनर्रूद्धार

पानी की कहानी - मनरेगा फंड से होगा नदियों का पुनर्रूद्धार

पवित्र नदियों में बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम के लिए केन्द्र सरकार के साथ ही उत्तर- प्रदेश सरकार द्वारा भी लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, हालांकि...

गगास नदी

गगास नदी

संक्षिप्त परिचय –उत्तराखण्ड की पहाड़ी नदियों में से एक गगास नदी राज्य में बहने वाली एक लघु जलधारा है. यह एक ऐसी नदी है, जिसका उद्गम दो स्थान...

विनोद नदी

विनोद नदी

संक्षिप्त परिचय –विनोद नदी उत्तर भारत की छोटी नदियों में से एक है. यह उत्तराखण्ड राज्य में प्रवाहित होती है. विनोद नदी एक पहाड़ी नदी है, जिस...

दामोदर नदी

दामोदर नदी

संक्षिप्त नदी –पश्चिमी भारत की नदियों में से एक दामोदर नदी एक छोटी जलधारा के रूप में बहती है. यह नदी मुख्यतः झारखंड व पश्चिम बंगाल राज्य के ...

सबरी नदी

सबरी नदी

संक्षिप्त परिचय –सबरी नदी दक्षिण – पश्चिमी भारत में बहने वाली प्रमुख नदियों में से एक है. नदी का उद्गम उड़ीसा राज्य में सिंकाराम की पहाड़ियो...

हसदो नदी

हसदो नदी

संक्षिप्त परिचय -हसदो नदी छत्तीसगढ़ राज्य में बहने वाली प्रमुख नदियों में से एक है. इसे ‘हसदेव’ नदी के नाम से भी जानते हैं. नदी का उद्गम कोर...

तवा नदी

तवा नदी

संक्षिप्त परिचय –तवा नदी मध्य- प्रदेश में बहने वाली सबसे छोटी नदियों में से एक है. नदी का उद्गम राज्य के होशंगाबाद जिले में पंचमढ़ी नामक स्थ...

ताम्रपर्णी नदी

ताम्रपर्णी नदी

संक्षिप्त परिचय –पश्चिम घाट से निकलने वाली ताम्रपर्णी नदी दक्षिण भारत में बहने वाली प्रमुख नदियों में से एक है. इसे ‘परूणै’ नाम से भी जानते ...

सुवर्णरेखा नदी

सुवर्णरेखा नदी

संक्षिप्त परिचय –भारत की सबसे रहस्यमयी नदियों में से एक सुवर्णरेखा नदी पश्चिमी भारत में बहने वाली एक प्रमुख नदी है. नदी का उद्गम झारखंड की र...

इन्द्रावती नदी

इन्द्रावती नदी

संक्षिप्त परिचय -उड़ीसा की जीवनरेखा के रूप में जानी जाने वाली इंद्रावती गोदावरी नदी की प्रमुख सहायक नदियों में से एक है. यह मध्य- भारत में ब...

ब्रह्मपुत्र नद - संस्कृति और सभ्यता का संगम

ब्रह्मपुत्र नद - संस्कृति और सभ्यता का संगम

संक्षिप्त परिचय -संस्कृति और सभ्यता का प्रतीक मानी जाने वाली ‘ब्रह्मपुत्र’ नद भारत की प्रमुख व पवित्रतम नदियों में से एक है. इस नद का उद्गम ...

बाणगंगा नदी

बाणगंगा नदी

संक्षिप्त परिचय –उत्तर- भारत में बहने वाली नदियों में से एक बाणगंगा नदी राजस्थान की एक प्रमुख नदी है, जो कि राजस्थान से लेकर उत्तर- प्रदेश र...

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जल पर संकट सम्पूर्ण मानव प्रजाति, वर्षों पुरानी सभ्यता एवं संस्कृति पर भी एक विकट संकट है. जल संकट की समस्या को लेकर विभिन्न प्रकृति प्रेमी, पर्यावरणविद एवं सामाजिक कार्यकर्त्ता समस्याओं की जड़ तक जाकर उनके उचित समाधानों को खोजने और ज़मीनी स्तर पर उनके क्रियान्वन को दस्तावेज़ित करने का प्रयास इस पोर्टल के माध्यम से कर रहे हैं. कृपया हमसें जुड़े एवं प्रासंगिक अपडेट प्राप्त करने हेतु अपना नाम और ईमेल भरें. 

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