संक्षिप्त परिचय –
कृष्णा नदी दक्षिण भारत की एक प्रमुख नदी है. इसका उद्गम महाराष्ट्र में पवित्र तीर्थस्थल महाबलेश्वर के समीप पश्चिमी पर्वत श्रृंखलाओं से माना जाता है. यह एक ऐतिहासिक नदी है, जिसका श्रीमद्भागवत व महाभारत में भी वर्णन किया गया है. यह नदी प्रमुख रूप में महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलगांना राज्य में प्रवाहित होती है. दक्षिण भारत के क्षेत्रों को सिंचित व उपजाऊ बनाने में कृष्णा नदी का अहम योगदान है तथा इन राज्यों में अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से भी यह नदी अत्यन्त महत्वपूर्ण है. दक्षिण भारत के विभिन्न राज्यों में बहते हुए कृष्णा नदी अंत में बंगाल की खाड़ी में विलीन हो जाती है.
प्रवाह क्षेत्र –
महाबलेश्वर के पश्चिमी घाट से निकलने के बाद कृष्णा नदी महाराष्ट्र के मैदानी भागों में उतरती है. राज्य के विभिन्न जिलों में प्रवाहित होते हुए यह कर्नाटक, आंध्र – प्रदेश, तेलगांना के कई क्षेत्रों में अपनी जलधाराओं को प्रवाहित करती है. जहां से सागर की ओर बहते हुए यह नदी बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है और यहीं पर इसका अविरल सफ़र समाप्त हो जाता है.
सहायक नदियां –
कृष्णा नदी अपने सैकड़ों कि.मी. लम्बे सफ़र में कई स्थानीय नदियों को अपने साथ समेटते हुए चलती है. जिसके अंतर्गत बायीं ओर से नदी में भीमा, मूसी, डिंडी, पलेरू नामक नदियां आकर मिलती हैं. वहीं दाहिनी दिशा से पंचगंगा, तुंगभद्रा, दूधगंगा व कोयना आदि नदी कृष्णा नदी की जलधाराओं में समाहित हो जाती हैं.
प्रमुख बांध व जलप्रपात –
विभिन्न राज्यों में कृष्णा नदी पर कई बांध व जलप्रपात बने हुए हैं. जिनमें श्रीसैलम, नार्गाजुन व अलमट्टी नामक बांध शामिल हैं. इसके अलावा इस नदी पर श्रीरंगपट्टनम व शिवसमुद्रम नामक दो जल प्रपात भी बने हुए हैं.