केन नदी बुंदेलखंड क्षेत्र में बहने वाली प्रमुख नदियों में से एक है. जिसका उद्गम उत्तर भारत के मध्य- प्रदेश राज्य के रीठी नामक स्थान के निकट कैमूर पर्वतमाला से होता है. उत्तर- प्रदेश व मध्य- प्रदेश राज्य में प्रवाहित होने वाली केन नदी अत्यन्त प्राचीन नदी है. यह एक बरसाती नदी है. बांदा जिले में केन नदी के यमुना से मिलने के बाद यमुना नदी सीधे गंगा से मिल जाती है. इसे यमुना की अंतिम सहायक नदी व गंगा की उप सहायक नदी के रूप में भी जाना जाता है. केन नदी पर पांडवा व कोराई नामक दो जलप्रताप भी बने हुए हैं.
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि –
बुंदेलखंड की धरती पर बहने वाली प्राचीन नदियों में से एक केन नदी को पूर्व में कर्णावती व शुक्तिमती नामों से जाना जाता था. इसके अलावा केन नदी के उद्गम स्थल के पहाड़ों की चट्टानें अत्यन्त रहस्यमयी हैं. चट्टानों पर कई बड़ी- बड़ी दरारें बनी हुई हैं, जिनका आज तक किसी भी नदी से भराव नहीं किया जा सका है. केन नदी की चट्टानों की ये दरारें कई वर्षों से क्षेत्र में आश्चर्य का केन्द्र बनी हुई हैं.
सहायक नदियां –
केन नदी की लगभग 250 कि.मी. की यात्रा के दौरान इसका अन्य कई छोटी- छोटी नदियों से संगम होता है, जिनके साथ ही नदी की धारा का स्वरूप विस्तृत होता चला जाता है. केन नदी के सफ़र में इसकी सहायक नदियां वीरमा, बाना, पाटर, उर्मिल व सोनार इसमें आकर मिलती हैं.
प्रमुख क्षेत्र –
पहाड़ियों व घाटियों से निकलने के बाद केन नदी बुंदेलखंड के कई क्षेत्रों पर बहती है. यह नदी प्रमुख रूप से म.प्र. के दमोह व पन्ना नामक क्षेत्रों में प्रवाहित होती है, पन्ना में कई छोटी- बड़ी धाराएं भी केन नदी में आकर मिल जाती हैं. इसके बाद यह नदी उत्तर- प्रदेश राज्य की सीमा में प्रवेश करती है तथा राज्य के बांदा जिले के चिल्ला क्षेत्र में यमुना नदी में समाहित हो जाती है, जो कि आगे चलकर गंगा नदी में मिलती है.