दक्षिण भारत के बंगलुरू शहर में बहने वाली बेलंदूर झील और वार्थूर झील पूरी तरह से प्रदूषण की गिरफ्त में आ चुकी हैं. आलम यह है कि कई जगह इन झीलों से झाग निकलते देखा जाना आम है. इन दोनों झीलों में बढ़ते प्रदूषण की जांच करने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने एक कमेटी का गठन किया, जिसने की गत 17 फरवरी को झीलों के जल का आकलन किया.
गौरतलब
है कि बेलंदूर झील को बंगलुरु के दक्षिण पूर्वी उपनगर बेलंदूर में स्थित शहर की
सबसे बड़ी झील के तौर पर जाना जाता है, ब्रिटिश शासनकाल के समय में भी इस झील की
काफी महत्ता थी. बेलंदूर अपवाह तंत्र के अहम हिस्से के रूप में यह झील बेहद
महत्त्वपूर्ण है. लगभग 148 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैली यह झील पूर्व की ओर बहते
हुए वर्थुर झील में मिलती है और अंतत वर्थुर झील पिनाकनी नदी के बेसिन में जाकर
मिल जाती है. विगत काफी समय से यह प्रदूषण की मार झेल रही है, जिसमें सीवेज और
औद्योगिक अपशिष्ट सम्मिलित है.
यह
झीलें अथाह प्रदूषण की शिकार बनी हुई हैं, जिसके चलते इनके किनारों पर अपशिष्ट का
अम्बार देखा जाना आम है, साथ ही झीलों की सतह पर विषैला झाग अक्सर तैरता दिखता है.
प्रदूषण के कारण विगत वर्ष जनवरी माह में झील ने आग भी पकड़ ली थी और हाल ही में
जनवरी में फिर भयंकर आगजनी की खबर सुनने में आई.
फरवरी
में हुई जाँच से पूर्व एनजीटी ने सभी हितधारकों से उनके द्वारा किए गए कार्यों तथा
संबंधित जानकारी को समिति को उपलब्ध कराने का आदेश दिया था तथा जांच से कुछ दिन
पहले की गई बैठक में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश और इस समिति के
प्रमुख, न्यायमूर्ति एन संतोष हेगड़े ने
डीएच को बताया कि सभी हितधारकों (सरकारी एजेंसियों) ने अपने इनपुट दिए हैं तथा
हमने उन्हें एक समेकित रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है.
17 फरवरी को जहां समिति ने एक साथ
जाकर बेलंदूर व वार्थूर के जल का निरीक्षण किया. वहीं इससे पहले ही समिति के
सदस्यों ने व्यक्तिगत रूप से जाकर झीलों के जल का आकलन व निरीक्षण किया था. झीलों
में बढ़ते प्रदूषण के साथ ही कमेटी ने इस बात की भी जांच की, कि दोनों झीलों के आस- पास का कितना क्षेत्र अतिक्रमण
से ग्रस्त है.
इस जांच में समिति ने राजकुलुवे अतिक्रमण तथा राजकुलुवों की संकीर्णता, वहां पाइप बिछाने, निर्माण और लघु सिंचाई विभाग (एमआईडी) द्वारा कचरे के डंपिंग और बेलगेरे सड़क के साथ बफर क्षेत्र पर अतिक्रमण पर विशेष रूप से ध्यान दिया. इसके अलावा एनजीटी ने झीलों की सुरक्षा में लापरवाही को लेकर एमआईडी, बैंगलोर जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड पर भी निशाना साधा. जिसके बाद से प्रशासन सकते में है और झीलों में बढ़ते प्रदूषण, उनकी सुरक्षा व अतिक्रमण को लेकर कुछ हद तक जागरूक हुआ है.