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कोसी नदी अपडेट - जल संसाधन विभाग का सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण में प्रस्तावित विघटन

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  • Dr Dinesh kumar Mishra Dr Dinesh kumar Mishra
  • Deepika Chaudhary Deepika Chaudhary
  • February-02-2022
हम लोग बहुत दिनों से बिहार सरकार को सुझाते आये हैं कि आपदा प्रबंधन विभाग और जल संसाधन विभाग को एक ही मंत्रालय के अन्दर कर दिया जाये ताकि उन्हें एक दूसरे विभाग द्वारा क्या क्या कार्यक्रम हाथ में लिए जा रहे हैं उसकी जानकारी रहे। ऐसा इसलिए क्योंकि बिहार में ज़्यादातर विपत्तियाँ जल से सम्बंधित हैं। पानी कम बरसा तो सुखाड़ हो जाएगा और ज्यादा बरसेगा तो बाढ़ आ जाएगी। अभी जो परिस्थिति है उसके अनुसार ये दोनों विभाग अलग-अलग क्या कर रहे हैं इसकी पारस्परिक जानकारी उन्हें नहीं होती। जानकारी जब उन्हें नहीं होती तो आम आदमी को कहाँ से होगी?


व्यावहारिक सच्चाई ये है कि राज्य में जल संसाधन विभाग आपदा प्रबंधन विभाग के लिए काम का जुगाड़ करता है, उसकी रोज़ी - रोटी की व्यवस्था करता है। साल दर साल तमाम तैयारियों के बावजूद राहत बांटने का काम होता है और इस में सभी का फायदा दिखाई पड़ता है। इस खेल में स्वयं-सेवी संस्थाएं भी बड़े जोर - शोर से हिस्सा लेती हैं। आज से कोई पचास साल पहले नेता लोग कहा करते थे कि राहत का बटवारा पीड़ितों को भीखमंगा बनाता है, उन्हें राहत बांटने वालों का आश्रित बनाता है जिसका फायदा वो लोग चुनाव में उठाते हैं मगर अब वो बहस मर चुकी है, और अब आपदा राहत कोष के प्रावधानों के तहत अधिकार बन चुकी है यानी भीखमंगा होना अब पीड़ितों का अधिकार है।

अभी सुनने में आया है कि बिहार सरकार सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण को भी अलग करने जा रही है। यानि अब सिंचाई विभाग क्या करेगा और बाढ़ नियंत्रण क्या करेगा, इसकी जानकारी भी एक दूसरे को नहीं होगी। यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि दोनों विभागों के केंद्र में नदी है। तब कहाँ आपदा प्रबंधन को जोड़ने की बात होती, यहाँ तो जो विभाग एक ही मंत्रालय के अधीन हैं उन्हें भी अलग किया जा रहा है। अब ये दो से तीन हुए विभाग आपस में नहीं जान पायेंगें की कौन क्या कर रहा है। इस से किसी भी दुर्घटना की जिम्मेवारी एक दूसरे पर ठेलने में में बड़ी आसानी होगी और पिसेगा भुक्त-भोगी।


तैय्यारी रखिये। पानी जन्य किसी भी परेशानी से लोग उजड़ेंगे, जिम्मेवारी कोई नहीं लेगा, राहत बटेगी। लोग हाथ फैलाने पर मजबूर होंगें, दाता लोग भीख देंगें। ये इसका कर्तव्य है तो वो उसका अधिकार है। दुनिया यूँ ही चलती रहेगी। जनता ज्यादा हल्ला मचाये तो नेपाल से बाँध वार्ता शुरू करने का अमोघास्त्र नेताओं की उसी तरह से रक्षा करेगा जैसे वह पिछले 70 साल से कर रहा है।

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