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पूर्वी काली नदी का इतिहास

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  • Raman Kant Raman Kant
  • Rakesh Prasad Rakesh Prasad
  • Deepika Chaudhary Deepika Chaudhary
  • May-09-2018

पूर्वी काली नदी का मूल उद्गम स्रोत वर्तमान में मुज्जफरनगर जिले की जानसठ तहसील के अंतवाड़ा गाँव के जंगल से किसान विनोद कुमार के गन्ने के खेतों में परिवर्तित हो गया है. अब नदी का वास्तविक व्युत्पत्ति बिंदु एक सरकारी नाले में बदल गया है जो पास से बहता है.

अंतवाड़ा गांव के वरिष्ठ निवासियों के अनुसार, नदी की उत्पत्ति के बारे में एक प्राचीन कथा है. काफी समय पहले एक संत गांव में महाले के वृक्ष के पास एक झोपड़ी में रहते थे. वह हर सुबह शुक्रताल में गंगा स्नान के लिए जाया करते थे. जब वह वृद्ध हो गये, तो यह उनके लिए कठिन कार्य बन गया. एक दिन वें गंगा स्नान के लिए गये और स्नान करने के बाद पवित्र गंगा से प्रार्थना की, कि वह फिर से वहां नहीं आ सकेंगे क्योंकि उसके लिए हर दिन इस दूरी की यात्रा करना संभव नहीं था और यदि पवित्र गंगा चाहती है कि वें हर दिन गंगा में स्नान करें, तो फिर गंगा को अंतवाड़ा में संत के निवास स्थान पर आना होगा. इसके पश्चात वह वापस अपने झोपड़ी में लौट आए.

अगले दिन, एक बैल ने संत के झोपड़ी के पास महाले के पेड़ पर प्रहार करना आरम्भ कर दिया, जिससे वृक्ष में रहने वाला सांपों का एक समूह बाहर आ गया. उनमें से एक मादा सर्प भी थी, जो दक्षिण दिशा की तरफ चली गई. ऐसा माना जाता है कि जहां से भी वह गुजरी, वहां एक जल धारा की उत्पत्ति हो गयी.

दूसरी जल धाराएं भी इस मुख्य धारा में नदी के रूप में विलय हो गईं. तभी से यह माना जाता है कि इस नदी की उत्पत्ति उस वृक्ष से है. इसलिए, इसका नाम "नागिन नदी" रखा गया था. संत ने अपनी मृत्यु तक हर दिन इस धारा में स्नान किया.

वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार, अंतवाड़ा गांव के आस-पास के क्षेत्र का भूजल स्तर अन्य क्षेत्रों से कहीं अधिक (आज भी 10 फीट) है, यहां तक कि पानी उक्त बिंदु से स्वाभाविक रूप से एक धारा में बहता है और जब अन्य धाराएं इसमें शामिल होती हैं, तो यह नदी के रूप में परिणत हो जाता है. परन्तु वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के पास नदी के नाम पर कोई अधिक एतिहासिक सूचना नहीं है.

 

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