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गंगा नदी - गंगा और मानव-शरीर में जीवन्त समरूपता : MMITGM (31)

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  • U.K. Choudhary U.K. Choudhary
  • November-28-2019
मानव युवा-अवस्था में प्रदूषित भोजन, जल एवं वायु को बहुत हद तक अपने शरीर में व्यवस्थित करने का सामर्थ्य रखता है. उसी तरह गंगा की शक्ति बरसात में रहती है, इस समय के दौरान गंगा मुख्यतः प्रदूषित नहीं कही जाती, क्योंकि इस समय प्रदूषक को घोलने, निस्तारित एवं व्यवस्थित करने की क्षमता अधिकतम होती है, पर प्रदूषक पर मिट्टी आदि अवसादों के कारण जल में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा उतनी नहीं हो पाती, जितना उसे होनी चाहिए. चित्र के अंतर्गत गंगा में ऑक्सीजन की समय से बदलती हुई मात्रा को दर्शाया गया है.


The human in his youth is well capable to manage limited quantum of polluted food, water and air. Similarly, the Ganga possesses more energy in the rainy season. In this period generally, the Ganga is not termed as polluted because at this time the river has high dilution, diffusion and dispersion potentials but the quantum of dissolved oxygen, due to suspended and dissolved matters, does not reach the level, which, actually it should attain. In the given Fig. the variation of D.O. with time has been shown.



-मानव युवा-अवस्था में प्रदूषित भोजन, जल एवं वायु को बहुत हद तक अपने शरीर में व्यवस्थित करने का सामर्

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