पानी की कहानी
  • होम
  • जानें
  • रिसर्च
  • संपर्क करें

ईस्ट काली रिवर वाटरकीपर - स्वच्छ नदीतंत्र से मिलेगा पर्यावरण संरक्षण अभियान को बल : रमनकांत त्यागी

  • By
  • Raman Kant Raman Kant
  • September-23-2019

"पर्यावरण संरक्षण, जल संवर्धन और ग्रामीण विकास के लिए नीर फाउंडेशन हर स्तर पर प्रयासरत है और विगत 20 वर्षों से नदियों के संरक्षण की दिशा में कार्य जारी है. जिसके अंतर्गत सबसे बड़ी उपलब्धि यमुना की सहायक हिंडन का उद्गम स्त्रोत शिवालिक की पहाड़ियों में खोज निकालना रहा है और इसे पुनर्जीवित करने के तमाम प्रयास आज अनवरत जारी हैं. आज यमुना में अपना जल नहीं है, केवल सीवरेज और इंडस्ट्रियल वेस्ट ही यमुना में जा रहा है. ऐसे में जरूरी है कि इसकी प्रमुख सहायक नदियों को स्वच्छ बनाया जाये और उन्हें नवजीवन देकर यमुना को भी स्वच्छ किया जाये."

यह कहना है नीर फाउंडेशन के निदेशक, भूजल सेना के अध्यक्ष और हाल ही में नमामि गंगे के सदस्य चुने गए रमनकांत त्यागी का, जो उत्तर प्रदेश में नदियों की स्वच्छता और अविरलता की मुहिम उठाए हुए हैं. हाल ही में आरएसएस के अखिल भारतीय पर्यावरण गतिविधि के लिए आयोजित की गयी बैठक में रमनकांत त्यागी ने अपनी बात रखते हुए मुख्य नदियों के साथ साथ उनकी सहायक नदियों की स्वच्छता पर भी बल दिया.

पर्यावरण संरक्षण के गंभीर मुद्दें को ध्यान में रखते हुए हाल ही में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के तत्वावधान में अखिल भारतीय पर्यावरण गतिविधि की बैठक का संचालन किया गया, जिसमें “पानी बचाओ, पेड़ लगाओ, पॉलिथीन हटाओ” विषय पर मंत्रणा करने के उद्देश्य से 23 प्रान्तों के लगभग 250 प्रतिनिधि मौजूद रहे. आज जिस तरह ग्लोबल वार्मिंग के चलते पर्यावरण पर संकट के बदला मंडरा रहे हैं, ऐसे में बेहद जरूरी है कि हम व्यक्तिगत स्तर पर हर एक प्रयास करें जिससे पर्यावरण का स्वास्थ्य भी सुधार सके.

फतेहाबाद रोड स्थित पर्ल रिसोर्ट में हुई इस बैठक के अंतर्गत सभी मौजूदा अथितियों ने बदलते पर्यावरण को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए अपने अपने विचार रखे. जिनमें आरएसएस के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि

“आज ग्लोबल वार्मिंग के चलते हिमखंड पिघल रहे हैं, और नदियों में बाढें आ रही हैं. आज जहां एक ओर ग्लेशियर पिघलने से समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है तो वहीँ भूजल स्तर निरंतर गिरता चला जा रहा है. आज बाढ़ों के कारण महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में पर्यावरण संतुलन बिगड़ता जा रहा है और कुछ राज्य भूगर्भ जल की समाप्ति के चलते सूखे की चपेट में हैं. भूमिगत जल में प्रदूषण भी इतना अधिक बढ़ गया है कि कुछ स्थानों पर तो 90 फीसदी भूजल प्रयोग लायक भी नहीं है. अब समय है कि हमें अपनी उपभोगवाडी प्रवृति पर नियंत्रण लाना होगा और अपने स्वाभाव को पर्यावरण हित की ओर मुखर करना होगा.”

पर्यावरण संरक्षण की मुहिम को व्यापक तौर पर संचालित करने और जागरूकता अभियान चलाने के संबंध में बल देते हुए डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि राष्ट्र स्वयंसेवक संघ में कुटुम्ब प्रबोधन, समरसता, ग्राम्य विकास आदि गतिविधियों के साथ ही पर्यावरण की नई गतिविधि शामिल हुई है. उन्होंने कहा कि हमें अपने जीवनकाल में न्यूनतम सौ पेड़ लगाने का संकल्प लेना चाहिए. साथ ही उन्होंने बताया कि संघ ने पौधरोपण, जलसंरक्षण के साथ ही पॉलीथिन से होने वाले प्रदूषण को दूर करने की दिशा में कार्य करने का निश्चय किया है.

लगभग तीन सत्रों में चली इस बैठक के अंतर्गत सर्वप्रथम पूर्व सह सरकार्यवाह डॉ. गोपाल कृष्ण, अखिल भारतीय पर्यावरण गतिविधि के प्रमुख गोपाल आर्या और सह प्रमुख राकेश जैन के द्वारा द्वीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया. बैठक में की गयी चर्चा के अंतर्गत आयोजन में उपस्थित सभी प्रांत प्रतिनिधियों ने अपने प्रान्तों से जुडें पर्यावरण प्रयोग और अनुभव सभी के साथ साझा किये. पर्यावरण संरक्षण को लेकर दायित्व, कार्य योजना और संगठनात्मक कार्यों पर चर्चा की गयी. साथ ही सभी समस्याओं के समाधान हेती जिज्ञासा समाधान का प्रावधान भी रखा गया. इस अवसर पर पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित कुछ पुस्तकों का भी विमोचन किया गया, जिनमें पर्यावरण एक आत्मोत्कर्ष, आयो पर्यावरण बचाएँ सहित अन्य कुछ पुस्तकें भी शामिल रही और पर्यावरण संरक्षण से संबंधित प्रमुख नीतियों के बेहतर क्रियान्वन, पॉलिथीन हटाकर उसके अन्य विकल्पों की ओर ध्यान देना इत्यादि मुद्दों पर भी गहन चर्चा की गयी.


हमसे ईमेल या मैसेज द्वारा सीधे संपर्क करें.

क्या यह आपके लिए प्रासंगिक है? मेसेज छोड़ें.

More

  • आदि बद्रीबांध निर्माण को लेकर हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में हुआ समझौता - सरस्वती को मिलेगा पुनर्जीवन

  • Raman River Rejuvenation Model

  • पानी की कहानी - क्रिसमस डे के मौके पर मोहम्मदी क्षेत्र में विवेकानंद घाट पर चलाया गया स्वच्छता अभियान

  • हसदेव अरण्य कोयला खनन - उद्योग, आर्थिक विकास आवश्यक लेकिन क्या जीवनदायक जंगल, साफ पानी, ताजी हवा जरूरी नहीं

  • पानी की कहानी - नीम नदी को पुनर्जीवन देने के भागीरथ प्रयास हुए शुरू

  • पानी की कहानी - नर्मदा निर्मलता से जुड़े कुछ विचारणीय सुझाव

  • पानी की कहानी - हिंडन नदी : एक परिचय

  • Exhibition and Workshop on Urban Water System in Gurgaon: Pathways to Sustainable Transformation Event

  • नेशनल वाटर कांफ्रेंस एवं "रजत की बूँदें" नेशनल अवार्ड ऑनलाइन वेबिनार 26 जुलाई 2020 Event

  • पानी की कहानी - लॉक डाउन के नियमों का उल्लंघन करते हुए जारी है यमुना नदी से अवैध खनन

  • Acute Encephalitis Syndrome Reduction through Promotion of Environmental Sanitation and Safe Drinking Water Practices

  • पचनदा बांध परियोजना - डैम प्रोजेक्ट पूरा होने से बीहड़ांचल को मिलेगा धार्मिक महत्त्व, बनेगा पर्यटन केंद्र

  • पानी की कहानी - हिंडन को प्रदूषण मुक्त करने के लिए एनजीटी ने शुरू किये प्रयास, पर्यावरण विशेषज्ञों ने जन सहभागिता को बताया अहम

  • मनियारी नदी - शहर भर के कचरे का डंपिंग स्टेशन बनती एक सदानीरा नदी की कहानी

  • पानी की कहानी - कचरा डंपिंग ने भूगर्भीय जल को बना दिया विषैला, सरकार को नियम बनाने में लग गए 49 साल

  • खारुन नदी - जहरीली होती जा रही है रायपुर की जीवन रेखा खारुन नदी, समय रहते संरक्षण जरुरी

  • पहुज नदी - धीरे धीरे मर रही एक प्राचीन नदी की कहानी

  • कंडवा नदी – समाज और प्रशासन की अवहेलना झेल रही कंडवा की कब बदलेगी तस्वीर?

  • उल्ल नदी - औद्योगिक प्रदूषण, सीवेज और अवैध अतिक्रमण से जूझ रही है शारदा की यह सहायक

  • कठिना नदी - विभिन्न स्थानों पर सूख गयी है गोमती की यह प्रमुख सहायक

  • पानी की कहानी - बिहार जल प्रदूषण के बीच हर घर शुद्ध जल के सरकारी दावों की योजना

  • अरवरी नदी - सामुदायिक संकल्पों से पुनर्जीवित हुयी एक मृत नदी की कहानी

  • पानी की कहानी - गंगा संरक्षण आवश्यक, फिर गंगा बेसिन की सहायकों, जलाशयों, भूगर्भीय जल स्त्रोतों की अनदेखी क्यों?

  • पानी की कहानी - अटल भूजल योजना के जरिये घर घर पानी पहुँचाने का मोदी सरकार का मिशन

  • पानी की कहानी - गाज़ियबाद में हिंडन को स्वच्छ करने का अभियान, नालों के पानी को साफ़ करने के लिए बनेगा ट्रीटमेंट प्लांट

  • दाहा नदी - लुप्त होने की कगार पर है सीवान जिले की जीवनरेखा, संरक्षण के प्रयास जरुरी

  • फल्गु नदी - अतिक्रमण और प्रदूषण की मार झेल रही है आस्था की प्रतीक रही फल्गु नदी

  • भैंसी नदी - विगत एक दशक से सूखी पड़ी है गोमती की यह सहायक

  • प्रदूषण कर रहा है हमारे वायु, आहार और जल को विषाक्त - माइक्रोफारेस्ट बनाकर धरती को दे सकते हैं पुनर्जीवन

  • पानी की कहानी - मर रही हैं हमारी बारहमासी नदियां, पारिस्थितिक और सांस्कृतिक संवर्धन जरुरी

  • प्राकृतिक जल स्त्रोतों के लिए धीमा जहर है प्लास्टिक – समय रहते बचाव जरुरी

  • पानी की कहानी - गाज़ियाबाद, गौतमबुद्धनगर और सहारनपुर जिले बना रहे हैं हिंडन को बीमार

  • पानी की कहानी- मानक से अधिक हो रहा कीटनाशक का इस्तेमाल, नाले के जहरीले पानी से 25 भैंसो की मौत

  • पानी की कहानी- यमुना के पश्चिमी तट के बाद पूर्वी तट का होगा सौन्दर्यीकरण

  • पानी की कहानी - गायब हो रहा है गोमुख ग्लेशियर, खतरे में गंगा का अस्तित्व

  • पानी की कहानी - मनरेगा फंड से होगा नदियों का पुनर्रूद्धार

  • गगास नदी

  • विनोद नदी

  • दामोदर नदी

  • सबरी नदी

  • हसदो नदी

  • तवा नदी

  • ताम्रपर्णी नदी

  • सुवर्णरेखा नदी

  • इन्द्रावती नदी

  • ब्रह्मपुत्र नदी

  • बाणगंगा नदी

  • भीमा नदी

जानकारी

© पानी की कहानी Creative Commons License
All the Content is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.

  • Terms
  • Privacy