पानी की कहानी
  • होम
  • जानें
  • रिसर्च
  • संपर्क करें

हिंडन के उद्गम स्थल की अनोखी यात्रा

  • By
  • पानी की कहानी
  • September-17-2017

आज हमारी देश की नदियां मर रही हैं. प्रदूषण उनमें इतना बढ़ गया है कि वह ग्राउंड वाटर को भी प्रदूषित कर रहा है. खतरनाक केमिकल्स के कारण नदियां विषैली हो गई हैं. उससे होने वाली खेती आम लोगों के लिए मौत की दस्तक के समान है. हमने अपनी जीवनदाता नदियों का ही जीवन छीन लिया है. ऐसे में आज जरूरत है कि देश में जल नीति बनाई जाए. सरकार ने नमामि गंगे के तहत गंगा को साफ करने की इच्छा शक्ति तो दिखाई है मगर क्या यह कदम पूर्ण है? वास्तव में हमारी कल कल नदियां जन जन के लिए जीवन का स्वरुप है.

मेरठ के कमिश्नर डॉ. प्रभात कुमार हिंडन संरक्षण के लिए आये आगे

अफसोस हमने अपने ही जीवन के स्वरूप को ही एक हद तक मार दिया है. इसमें दोष किसका है इस पर चर्चा कभी और मगर आज हम बात कर रहे हैं कुछ ऐसे लोगों की जिन्होंने इन मरती नदियों के लिए, इसे पुनर्जीवित करने के लिए, इसे स्वच्छ बनाने की सोच के साथ आगे आए हैं. आज बात निर्मल हिंडन के लिए प्रयासरत लोगों की. ऐसे में सबसे बड़ा नाम डॉ. प्रभात कुमार का है जो मेरठ मंडल के कमिश्नर के पद पर नियुक्त हैं. प्रकृति प्रेमी यह शख्स जब हिंडन के आस पास से गुजरते हैं तो उन्हें हिंडन की दुर्दशा को देखकर बहुत दुख पहुंचता है और ऐसे में उन्होंने हिंडन को साफ करने और उसकी विभिन्न संभावनाओं की तलाश में काम करने और हिंडन को उसके पुराने स्वरूप में लाने की पहल की है.

हिंडन का वास्तविक उद्गम

डॉ. प्रभात कुमार ने निर्मल हिंडन की इस पहल में अपने साथ कई लोगों को मुहिम में साथ जोड़ने का प्रयास किया है. हिंडन के आसपास 7 जिले और दो डिवीजन पड़ते हैं. यहां के सारे अधिकारी सहारनपुर के कमिश्नर, डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, एनजीओ, प्रकृति प्रेमी, पर्यावरणविद, विभिन्न ओपिनियन लीडर के साथ बातचीत कर हिंडन को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया जा रहा है. सबसे हुई बातचीत में यह निर्णय लिया गया कि पहले तो हिंडन के वास्तविक उद्गम स्थल का पता लगाया जाए और उसी कड़ी में मेरठ मंडल के कमिश्नर डॉ. प्रभात कुमार के साथ पूरी टीम 5 अगस्त को अपनी पहली यात्रा के तहत शिवालिक रेंज में पहुंची. जहां टीम को बरसनी नदी का पता चला जो कि एक हिस्सा हिंडन का बनाती है, साथ ही उन्हें अंधाकुंडी नदी का भी पता चला और आगे जाकर उन्होंने कालूराव की धारा देखी जो आगे मिलकर हिंडन का स्वरूप ले लेती है. पूरी टीम के लिए यह दौरा काफी सफल माना जा सकता है क्योंकि अब तक हिंडन का उद्गम स्थल पुरका टांडा को माना जाता रहा है और सर्वे ऑफ इंडिया के मैप में भी इसी को उद्गम स्थल बताया गया है. ऐसे में हिंडन का उद्गम स्थल बरसनी नदी के रूप में प्राप्त होना एक बड़ी सफलता मानी जा सकती है.

संयुक्त प्रयासों से निर्मल होगी हिंडन

हिंडन 355 किलोमीटर की लंबी नदी है, जिसका कैचमेंट एरिया 7000 स्क्वायर किलोमीटर से भी ज्यादा है. जो अंत में जाकर यमुना में मिल जाती है. हिंडन नदी कई जिलों से होकर गुजरती है, बीच में घनी आबादी, कई सौ फैक्ट्रियां, शहरी कचरा, प्रदूषण और जहरीला होता पानी इसकी पहचान बन चुकी है. डॉ. प्रभात कुमार ने मेरठ, गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर में बहने वाली हिंडन और शिवालिक रेंज से निकलने वाली हिंडन का फर्क यही बताया कि शिवालिक में हिंडन नदी है तो वहीं इन शहरों में हिंडन नाला. डॉ. प्रभात कुमार ने हिंडन के पुनरुद्धार के लिए सबको साथ लेकर चलने का काम किया है. उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि वह 'आई' के कॉन्सेप्ट के साथ नहीं बल्कि 'वी' के कॉन्सेप्ट के साथ आगे बढ़ रहे हैं और बढ़ते रहेंगे.

निर्मल हिंडन के लिए बनी कमेटी

डॉ. प्रभात कुमार हिंडन को उसके पुराने स्वरूप में लाने के लिए कितने दृढ़ संकल्पित है इस बात का पता इसी से चल जाता है कि 5 अगस्त को हुए हिंडन की पहली यात्रा के कुछ ही दिनों बाद 9 सितंबर को उन्होंने इसके लिए एक कमेटी का गठन कर दिया. कार्यालय आयुक्त, मेरठ मंडल के ज्ञापन के अनुसार:

'निर्मल हिंडन' एवं उसकी सहायक नदियों के उद्गम तथा हिंडन तक मिलने के बारे में अध्ययन के लिए निम्नांकित समिति गठित की गयी हैं -

1. श्री रमन कांत, नीर फाउंडेशन, मेरठ

2. डा. एस.के. उपाध्याय, निवासी सहारनपुर

3. श्री राजीव उपाध्याय यायावर, इतिहासविद, सहारनपुर

4. श्री पी.के. शर्मा, पांवधोई समिति, निवासी सहारनपुर

5. सिंचाई विभाग के संबंधित अवर अभियंता

6. वन विभाग के संबंधित एस.डी.ओ.

यह समिति हिंडन के उद्गम स्थलों का चिन्हांकन तथा उनसे निकलने वाला पानी कहां-कहां हिंडन में मिलता है, उसका चिन्हांकन करते हुए इन संभावनाओं पर विचार करेगी कि हिंडन के उद्गम से निकलने वाले पानी को किस प्रकार से अक्षूण रहते हुए हिंडन तक पहुंचाया जाए.

यह समितियां अपने प्रशिक्षण के दौरान सर्वे ऑफ इंडिया के मानचित्रों का भी अवलोकन करेगी और हिंडन में किन-किन स्रोतों से पानी लाया जा सकता है, इस पर भी विचार करते हुए अपनी आख्या यथाशीघ्र अधोहस्ताक्षरी के समक्ष प्रस्तुत करेगी.

हिंडन यात्रा

समिति के गठन के बाद तीन दिवसीय पहली यात्रा 18 से 20 सितंबर तक सभी सदयों ने आपसी विमर्श से तय की . जहां विभिन्न संभावनाओं की तलाश के साथ-साथ हिंडन की सहायक नदियों के उद्गम स्थल और हिंडन में मिलने वाले उनके स्थान का पता लगाया गया.

18 सितम्बर, यात्रा का पहला दिन

इस समिति के पहले दिन का कारवां सहारनपुर पहुंचा, जहां पर समिति के सदस्यों द्वारा कार्ययोजना बनाने के बाद पड़ाव सहारनपुर के ही शाकुंभरी फॉरेस्ट रेंज गया जहां शाकुंभरी रेंज के वन क्षेत्राधिकारी आर.एन. किमोठी ने इसमें बेहद मदद की. उन्हीं की सहायता से कमेटी को सहनसरा नदी का पता चला जो शाकुंभरी फॉरेस्ट रेंज हिल्स की बरसाती नदी है और बरसात के दिनों में यह 10 से 11 गांव को बुरे तरीके से प्रभावित करती थी. वन विभाग द्वारा बांध के निर्माण करवाए जाने के बाद बाढ़ का प्रकोप बेहद कम हो गया है. सहनस्रा नदी का मिलना समिति के लिए बेहद उत्साहजनक था क्योंकि यहीं से महज 2 किलोमीटर के आसपास कोठरी गांव में टीम ने नागदेव के उद्गम का पता लगाया जोकि हिंडन की सहायक नदी है. पहले दिन की यात्रा को सफल माना जा सकता है क्योंकि सहनस्रा नदी जो कि नागदेव से कुछ ही दूर बहती है उसके पानी को नागदेव में मिलाने की बात सोची जा सकती है जो कि भविष्य में एक बेहद महत्वपूर्ण कदम हो सकता है.


19 सितम्बर, यात्रा का दूसरा दिन

कमालपुर में मिलती है चाचा राव और पुरका टांडा की धारा

दूसरे दिन की यात्रा का मुख्य उद्देश्य धाराओं के उद्गम और हिंडन में मिलने के उसके स्रोत के बारे में पता करने का था तो दूसरे दिन सबसे पहले पूरी टीम कमालपुर गांव गई जहां से पुरका टांडा की धारा आती है और उसे ही अब तक हिंडन का वास्तविक उद्गम स्थल माना जाता रहा है. सर्वे ऑफ इंडिया के मैप में भी इसी बात की पुष्टि की गई है. जबकि वहीं दूसरी तरफ से चाचा राव जोकि बरसनी की धारा के बाद कालूवाला धारा और उसके बाद चाचा राव की धारा में तब्दील हो जाती है वह वहां पुरका टांडा में मिल रही थी. चाचा राव की धारा पुरखा टांडा की धारा से बड़ी धारा है और जहां छोटी धारा, बड़ी धारा आपस में आकर मिलती है वह अपना अस्तित्व खो देती है और ऐसे में बरसनी से निकलकर आगे चलकर कालूवाला और बाद में चाचा राव के रूप में तब्दील हो जाने वाली इसी धारा को हम हिंडन का मुख्य उद्गम स्थल के रूप में मान सकते हैं. समिति की इस खोज के बाद हिंडन और सर्वे ऑफ इंडिया से लेकर और भी विभिन्न पहलुओं में अब बहुत बड़ा बदलाव आएगा.

काली की जड़ खंगाली

इसके बाद समिति ने काली नदी के उद्गम का पता लगाने की कोशिश की. काफी जगहों, कई गांवों को खंगालने के बाद, काफी लोगों से मिलने के बाद और मैप के अनुसार भी हमें काली नदी का उद्गम का पता लगाने में बेहद मुश्किल हो रही थी. इसी दौरान हमारी मुलाकात बहुत ही वृद्ध महिला से हुई जिन्होंने बताया कि उनके बाप-दादा से वह यह कहावत सुना करती थी कि ‘काली की जड़ गंगाली’ यानी समिति का अगला पड़ाव काली नदी के उद्गम का पता लगाने के लिए गंगाली गांव जाना था. हमें इस छोटे से गांव में काली नदी के उद्गम का पता लगा जो मेरठ में आकर पिठलोकर में पहुंच हिंडन में मिल जाती है.

घोघरेकी में नागदेव मिलती है हिंडन से

काली नदी के उद्गम का पता लगाने के बाद पूरी टीम जोश में थी और इस बार कारवां का उद्देश्य नागदेव और हिंडन आपस में कहां मिलती है का पता लगाने का था. इस कोशिश में भी टीम को सफलता मिली और काफी मेहनत के बाद उन्होंने घोघरेकी गांव को इसके लिए चिन्हित किया जहां नागदेव हिंडन में मिलती है.

सकलापुरी गांव में है पांवधोई का उद्गम

अब बारी थी पांवधोई के उद्गम का पता लगाने की. काफी समय और काफी मेहनत करने के बाद सभी सदस्यों को सकलापुरी गांव में इसके उद्गम का पता लग सका. लगातार मिल रही कामयाबी से पूरी टीम का हौसला बढ़ा हुआ था और इसीलिए बिना समय गवाएं और एक पल भी ठहरे टीम पांवधोई और धमोला नदी के मिलने की जगह पर पहुंची जोकि सहारनपुर शहर के अंदर था.

सरकथाल में होता है धमोला और हिंडन का मिलाप

घिर रहे अंधेरे के बीच अगले पड़ाव में टीम सरकथाल पहुंची जहां धमोला नदी हिंडन में मिलती है. यहां का पानी बेहद ही दूषित था. सहारनपुर नाले की सारी गंदगी इसी नदी में गिराई जा रही थी, जिससे धमोला में काफी सारा कचरा बहके आ रहा था जिसमें पॉलिथीन भी ढेर सारे थे और यही प्रदूषित पानी हिंडन में मिल रहा था. घना अंधेरा होने के कारण और दूसरे दिन के कार्ययोजना के मुताबिक सारे कार्य कर लेने के बाद सभी अगले दिन की योजना की तैयारी में सर्किट हाउस पहुंचे. दूसरे दिन टीम को सिंचाई विभाग के जूनियर इंजीनियर आजम खान और साथ ही उनके सहयोगी अतुल वर्मा, सीनियर असिस्टेंट का भी भरपूर सहयोग मिला.

20 सितम्बर, यात्रा का तीसरा और अंतिम दिन

इस यात्रा के तीसरे और अंतिम दिन सभी शिवालिक रेंज गए जहां बरसनी फॉल और साथ ही अंधाकुंडी जो कि हिंडन की सहायक नदी है को देखा. साथ ही समिति ने यहां की पहाड़ी नदियों के साथ-साथ यहीं कि छोटी-छोटी नदियों के महत्व को जानने और समझने की कोशिश की. यहीं पर पहाड़ियों में रहने वाले वन गुर्जरों से भी सदस्यों ने मुलाकात की और उनके लिए नदी का क्या महत्व है जानने की कोशिश की. समिति को बहुत सारी संभावनाएं दिखी जोकि बेहद सफल और कारगर हो सकती है. शिवालिक यात्रा के दौरान वन विभाग के रेंजर अधिकारी मोहम्मद गुलफाम और उनकी पूरी टीम से बहुत ही ज्यादा सहयोग मिला.

सफल रही हिंडन की यह यात्रा

इस पूरी यात्रा का मुख्य उद्देश्य था कि जो भी हिंडन की सहायक नदियां हैं उसका उद्गम स्थान पता करना और साथ ही यह हिंडन में यह कहां आकर मिलती है उसका पता लगाना. इस उद्देश्य में पूरी टीम को सफलता मिली.

साथ ही दूसरा उद्देश्य था की हिंडन की जो भी सहायक नदियां है उनमें पानी की संभावनाओं को तलाश करना उनमें पानी के फ्लो को बढ़ाना. ऐसी बहुत सी संभावनाएं पूरी टीम को नजर आई है. उदाहरण के तौर पर नागदेव की कुछ दूरी पर सहनस्रा नदी बहती है, जिसके पानी को हम नागदेव में मिला कर उसके फ्लो को बढ़ा सकते हैं और साथ ही इसका उपयोग और भी दूसरे साधनों के लिए किया जा सकता है.

साथ में शिवालिक रेंज में जैव-विविधता का भंडार है. यहां अनगिनत दुर्लभ प्रजातियां हैं जिसके संरक्षण के लिए टीम का मानना है कि इस इलाके को इको सेंसिटिव जोन घोषित करवाया जाये. जिससे यहां की नदियों के साथ-साथ यहां की दुर्लभ प्रजातियों का भी संरक्षण हो पाये.

समिति के सामने हिंडन की सहायक नदियों में प्रदूषण की भी भयंकर समस्या दिखी, जिसे साफ करने के लिए समिति एक योजना तैयार कर रही है. निर्मल हिंडन के लिए यह बेहद जरूरी है. निर्मल हिंडन यात्रा का यह तीन दिन बहुत ही सफल रहा, ढेरों संभावनाएं दिखी. अगर समिति इस में सफल हो पाती है तो वाकई निर्मल हिंडन का स्वप्न सिर्फ स्वप्न नहीं बल्कि हकीकत साबित होगा.

डॉ. प्रभात कुमार के साथ साथ उनकी पूरी टीम और जो भी निर्मल हिंडन के कार्य में लगे हैं उनको इस कदम के लिए बधाई और बहुत-बहुत शुभकामनाएं कि वह इस मुहिम में सफल हों. वैसे बताते चले की समिति ने अपनी तीन दिवसीय यात्रा की पूरी रिपोर्ट मेरठ के कमिश्नर डॉ. प्रभात कुमार सौंप दी है. समिति के कार्य करने के तरीके से डॉ. प्रभात कुमार काफी खुश नज़र आये. उन्हें अब यह उम्मीद जगी है कि जिस रफ्तार से हिंडन को निर्मल बनाने के कार्य में तेजी आई है उससे जल्द ही हिंडन को लेकर कुछ बेहतर होगा.

हमसे ईमेल या मैसेज द्वारा सीधे संपर्क करें.

क्या यह आपके लिए प्रासंगिक है? मेसेज छोड़ें.

More

पानी की कहानी - ग्लेशियर पर बढ़ते दबाव से कांपती है धरती, दरकते हैं पहाड़ और नदियों का वेग होता है एकाएक तीव्र

पानी की कहानी - ग्लेशियर पर बढ़ते दबाव से कांपती है धरती, दरकते हैं पहाड़ और नदियों का वेग होता है एकाएक तीव्र

हिमालय पर्वत, जिसे लूज रॉक की संज्ञा भी दी जा सकती है, एक ऊंची ढाल का सेडिमेंट्री पहाड़ है। यानि ग्लेशियर पर बढ़ता दबाव हिमालयी क्षेत्र में छो...

पानी की कहानी - जल प्रबंधन से जुड़ी समस्याओं से मिलेगी गुरुग्राम वासियों को राहत, भाजपा बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ की सार्थक पहल

पानी की कहानी - जल प्रबंधन से जुड़ी समस्याओं से मिलेगी गुरुग्राम वासियों को राहत, भाजपा बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ की सार्थक पहल

भारतीय जनता पार्टी बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ गुरुग्राम के ज़िला संयोजक, श्री अमर झा ने दिनांक 26/07/2022 को गुरुग्राम ज़िले के जल प्रबंधन, भूजल में ...

पानी की कहानी - छोटी नदियों और उनके इकोसिस्टम को मरने के लिए छोड़ दिया तो गंगा में जल कहां से आएगा? - डॉ वेंकटेश दत्ता

पानी की कहानी - छोटी नदियों और उनके इकोसिस्टम को मरने के लिए छोड़ दिया तो गंगा में जल कहां से आएगा? - डॉ वेंकटेश दत्ता

हम सभी अलग अलग गांवों से आते हैं, जहां ताल-तलैया, छोटी छोटी नदियां आदि हुआ करती थी। अकेले लखनऊ में ही पाँच नदियां हैं, जिनमें गोमती, कुकरैल,...

पानी की कहानी - असम की बाढ़, कारण और निवारण के बीच फंसे लोग

पानी की कहानी - असम की बाढ़, कारण और निवारण के बीच फंसे लोग

असम में बाढ़ कोई नई घटना नहीं है। किन्तु मानसून के पहले ही चरण में बाढ़ का इतना ज्यादा टिक जाना और इसके लिए सरकार के मुखिया द्वारा लोगों पर दो...

पानी की कहानी - केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट, कर्नाटक का कोलार जिला कर रहा सर्वाधिक भूजल दोहन

पानी की कहानी - केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट, कर्नाटक का कोलार जिला कर रहा सर्वाधिक भूजल दोहन

"बिन पानी सब सून", कहावत के बार बार सुनने के बाद भी हम मनुष्य उस पर गंभीरता से विचार नहीं करते हैं। बीते कुछ वर्षों में जिस तरह देश के विभिन...

पानी की कहानी - वैश्विक तापमान में वृद्धि और मौसम में लगातार परिवर्तन, क्या दो बूंद गंगाजल के लिए तरसता रह जाएगा सागर?

पानी की कहानी - वैश्विक तापमान में वृद्धि और मौसम में लगातार परिवर्तन, क्या दो बूंद गंगाजल के लिए तरसता रह जाएगा सागर?

(वैश्विक तापमान में वृद्धि और इसके परिणामस्वरूप मौसमी परिवर्तन। निःसंदेह, वृद्धि और परिवर्तन के कारण स्थानीय भी हैं, किंतु राजसत्ता अभी भी ऐ...

Flood Control Plan for Gurugram (2020-21) by Department of Revenue & Disaster Management

Flood Control Plan for Gurugram (2020-21) by Department of Revenue & Disaster Management

The country's cyber city Gurugram suffers huge losses every year due to flash floods when it rains. The city has gained international fame i...

पानी की कहानी - वर्ल्ड वाटर डे विशेष : भूजल संरक्षण है आवश्यक

पानी की कहानी - वर्ल्ड वाटर डे विशेष : भूजल संरक्षण है आवश्यक

वर्तमान समय में प्राकृतिक संसाधनों पर बढ़ता दबाव हमारे प्राकृतिक जल स्त्रोतों के लिए खतरा बनता जा रहा है। नीर फाउंडेशन के निदेशक व संस्थापक न...

पानी की कहानी - गंगा में रोजाना डंप किया जा रहा है 280 करोड़ लीटर अपशिष्ट, नियमों का उल्लंघन कर रही 190 औद्योगिक इकाइयों को केंद्र सरकार ने किया बंद

पानी की कहानी - गंगा में रोजाना डंप किया जा रहा है 280 करोड़ लीटर अपशिष्ट, नियमों का उल्लंघन कर रही 190 औद्योगिक इकाइयों को केंद्र सरकार ने किया बंद

गंगा नदी प्रदूषण में इजाफा कर रहे 180 उद्योगों पर सोमवार 21 मार्च को केंद्र सरकार ने रोक लगा दी है। गंगा को प्रदूषित कर रहे पांच राज्यों के ...

आदि बद्रीबांध निर्माण को लेकर हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में हुआ समझौता - सरस्वती को मिलेगा पुनर्जीवन

आदि बद्रीबांध निर्माण को लेकर हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में हुआ समझौता - सरस्वती को मिलेगा पुनर्जीवन

वैदिककालीन साहित्य में परम पवित्र नदी के रूप में जानी जाने वाली सरस्वती नदी भारत की उन पौराणिक नदियों में से एक है, जिनके किनारे रहकर ऋषियों...

Raman River Rejuvenation Model

Raman River Rejuvenation Model

Raman River Rejuvenation Model WHY NEED THIS MODEL?The existence of small and rainy rivers in India is nearing its end. The new generation h...

पानी की कहानी - क्रिसमस डे के मौके पर मोहम्मदी क्षेत्र में विवेकानंद घाट पर चलाया गया स्वच्छता अभियान

पानी की कहानी - क्रिसमस डे के मौके पर मोहम्मदी क्षेत्र में विवेकानंद घाट पर चलाया गया स्वच्छता अभियान

सदानीरा रही गोमती हजारों वर्षों से अनेकों संस्कृतियों को सहेज रही है, कईं सभ्यताओं को पनपने में अपनी भूमिका प्रदान कर चुकी है, अनगिनत पौराणि...

हसदेव अरण्य कोयला खनन - उद्योग, आर्थिक विकास आवश्यक लेकिन क्या जीवनदायक जंगल, साफ पानी, ताजी हवा जरूरी नहीं

हसदेव अरण्य कोयला खनन - उद्योग, आर्थिक विकास आवश्यक लेकिन क्या जीवनदायक जंगल, साफ पानी, ताजी हवा जरूरी नहीं

"जब आखिरी पेड़ कट जाएगा, जब आखिरी नदी के पानी में जहर घुल जाएगा और जब आखिरी मछली का भी शिकार हो जाएगा, तभी इनसान को एहसास होगा कि वह पैसे नह...

पानी की कहानी - नीम नदी को पुनर्जीवन देने के भागीरथ प्रयास हुए शुरू

पानी की कहानी - नीम नदी को पुनर्जीवन देने के भागीरथ प्रयास हुए शुरू

नीम नदी को उसके उद्गम स्थल पर पुनर्जीवित करने के पुनीत कार्य का बीड़ा नीर फाउंडेशन ने उठाया है और प्रकृति व पर्यावरण की अनूठी धरोहर नदियों ओ ...

पानी की कहानी - नर्मदा निर्मलता से जुड़े कुछ विचारणीय सुझाव

पानी की कहानी - नर्मदा निर्मलता से जुड़े कुछ विचारणीय सुझाव

नीति पहले, कार्ययोजना बाद मेंकिसी भी कार्ययोजना के निर्माण से पहले नीति बनानी चाहिए। नीतिगत तथ्य, एक तरह से स्पष्ट मार्गदर्शी सिद्धांत होते ...

पानी की कहानी - हिंडन नदी : एक परिचय

पानी की कहानी - हिंडन नदी : एक परिचय

कालुवाला खोल अर्थात हिण्डन नदी सहारनपुर जनपद में शिवालिक की पहाडियो कालुवाला पास से प्रारम्भ होती है । यह बरसाती नदी है । इसमे छोटी अन्य सहा...

Exhibition and Workshop on Urban Water System in Gurgaon: Pathways to Sustainable Transformation

Exhibition and Workshop on Urban Water System in Gurgaon: Pathways to Sustainable Transformation Event

As we all knows that big cities change rapidly, people moving into them can struggle for access to basic services like clean water and san...

नेशनल वाटर कांफ्रेंस एवं "रजत की बूँदें" नेशनल अवार्ड ऑनलाइन वेबिनार 26 जुलाई 2020

नेशनल वाटर कांफ्रेंस एवं "रजत की बूँदें" नेशनल अवार्ड ऑनलाइन वेबिनार 26 जुलाई 2020 Event

Enter the Article Here...

पानी की कहानी - लॉक डाउन के नियमों का उल्लंघन करते हुए जारी है यमुना नदी से अवैध खनन

पानी की कहानी - लॉक डाउन के नियमों का उल्लंघन करते हुए जारी है यमुना नदी से अवैध खनन

जहां एक ओर कोरोना और लॉक डाउन के चलते जनजीवन अस्त व्यस्त सा हो गया है और लोगों के सामने स्वस्थ रहते हुए आजीविका चलाना सबसे बड़ी वरीयता बनकर र...

Acute Encephalitis Syndrome Reduction through Promotion of Environmental Sanitation and Safe Drinking Water Practices

Acute Encephalitis Syndrome Reduction through Promotion of Environmental Sanitation and Safe Drinking Water Practices

Abstract: Water management and safe sanitation play an important role in controlling vector borne diseases in the tropical countries like...

पचनदा बांध परियोजना - डैम प्रोजेक्ट पूरा होने से बीहड़ांचल को मिलेगा धार्मिक महत्त्व, बनेगा पर्यटन केंद्र

पचनदा बांध परियोजना - डैम प्रोजेक्ट पूरा होने से बीहड़ांचल को मिलेगा धार्मिक महत्त्व, बनेगा पर्यटन केंद्र

भारत में नदियों का धार्मिक महत्त्व किसी से छिपा नहीं है, युगों से नदियों किनारे लगने वाले पौराणिक मेले, स्थापित मंदिर, मठ, आश्रम, तपस्थली आद...

पानी की कहानी - हिंडन को प्रदूषण मुक्त करने के लिए एनजीटी ने शुरू किये प्रयास, पर्यावरण विशेषज्ञों ने जन सहभागिता को बताया अहम

पानी की कहानी - हिंडन को प्रदूषण मुक्त करने के लिए एनजीटी ने शुरू किये प्रयास, पर्यावरण विशेषज्ञों ने जन सहभागिता को बताया अहम

राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने हिंडन नदी के साथ साथ काली नदी को भी स्वच्छ बनाने की कवायद शुरू की है. मेरठ में कमीश्नर के रूप में कार्य करते हुए...

मनियारी नदी - शहर भर के कचरे का डंपिंग स्टेशन बनती एक सदानीरा नदी की कहानी

मनियारी नदी - शहर भर के कचरे का डंपिंग स्टेशन बनती एक सदानीरा नदी की कहानी

"जल है तो कल है", जाने किंतनी बार हम सभी ने ये पंक्तियां सुनी हैं. गाहे-बगाहे पर्यावरण प्रेमी, जल संरक्षण संस्थाओं, सामाजिक-राजनीतिक व्यक्ति...

पानी की कहानी - कचरा डंपिंग ने भूगर्भीय जल को बना दिया विषैला, सरकार को नियम बनाने में लग गए 49 साल

पानी की कहानी - कचरा डंपिंग ने भूगर्भीय जल को बना दिया विषैला, सरकार को नियम बनाने में लग गए 49 साल

"घैला के पास से लिए गए पानी के नमूनों की जाँच करने पर उनमें लेड और क्रोमियम जैसे विषैले हैवी मेटल्स मिले हैं. साथ ही जिंक, कॉपर, आयरन, निकेल...

खारुन नदी - जहरीली होती जा रही है रायपुर की जीवन रेखा खारुन नदी, समय रहते संरक्षण जरुरी

खारुन नदी - जहरीली होती जा रही है रायपुर की जीवन रेखा खारुन नदी, समय रहते संरक्षण जरुरी

छत्तीसगढ़ के रायपुर में युगों से बहने वाली "खारुन नदी" शहर के लगभग 15 लाख लोगों के लिए जल और जीवन का स्त्रोत है. "रायपुर में "खारुन महतारी" क...

पहुज नदी - धीरे धीरे मर रही एक प्राचीन नदी की कहानी

पहुज नदी - धीरे धीरे मर रही एक प्राचीन नदी की कहानी

सनातनी धार्मिक ग्रन्थों में पुष्पावती के नाम से जानी जाने वाली "पहुज नदी" यमुना की सहायक काली सिंध नदी की सहायक मानी जाती है. बुंदेलखंड वासि...

कंडवा नदी – समाज और प्रशासन की अवहेलना झेल रही कंडवा की कब बदलेगी तस्वीर?

कंडवा नदी – समाज और प्रशासन की अवहेलना झेल रही कंडवा की कब बदलेगी तस्वीर?

लखीमपुर खीरी को छोटी काशी की उपाधि दी जाती है, जिसका सबसे बड़ा कारण यहां उपस्थित सरिताएं और उनके तटों पर सुशोभित मंदिर एवं आश्रम हैं. गोमती, ...

उल्ल नदी - औद्योगिक प्रदूषण, सीवेज और अवैध अतिक्रमण से जूझ रही है शारदा की यह सहायक

उल्ल नदी - औद्योगिक प्रदूषण, सीवेज और अवैध अतिक्रमण से जूझ रही है शारदा की यह सहायक

हिमालय की तलहटी में बसा पीलीभीत जिला अपनी सघन वन संपदा, जैविक विविधता और जल संग्रहण क्षेत्र के लिए जाना जाता है. दलदली भूमि होने के चलते यहा...

कठिना नदी - विभिन्न स्थानों पर सूख गयी है गोमती की यह प्रमुख सहायक

कठिना नदी - विभिन्न स्थानों पर सूख गयी है गोमती की यह प्रमुख सहायक

मानवीय शरीर में धमनियां रक्त संचरण करती हैं और हृदय को पोषित करते हुए समस्त शरीर की कार्यप्रणाली को सुचारू बनाये रखने में अहम भूमिका निभाती ...

पानी की कहानी - बिहार जल प्रदूषण के बीच हर घर शुद्ध जल के सरकारी दावों की योजना

पानी की कहानी - बिहार जल प्रदूषण के बीच हर घर शुद्ध जल के सरकारी दावों की योजना

बिहार के उप मुख्यमन्त्री श्री सुशील कुमार मोदी ने हाल ही में इंडियन वाटर वर्कर्स एसोसिएशन के 52वें वार्षिक सम्मेलन के समापन समारोह को सम्बोध...

अरवरी नदी - सामुदायिक संकल्पों से पुनर्जीवित हुयी एक मृत नदी की कहानी

अरवरी नदी - सामुदायिक संकल्पों से पुनर्जीवित हुयी एक मृत नदी की कहानी

नदियां हमारे जनजीवन से जुड़ा वह अहम आधार हैं, जिनके बिना जीने की हम कल्पना भी नहीं कर सकते. सनातनी संस्कृति में नदियों को मां मानकर पूजे जाने...

पानी की कहानी - गंगा संरक्षण आवश्यक, फिर गंगा बेसिन की सहायकों, जलाशयों, भूगर्भीय जल स्त्रोतों की अनदेखी क्यों?

पानी की कहानी - गंगा संरक्षण आवश्यक, फिर गंगा बेसिन की सहायकों, जलाशयों, भूगर्भीय जल स्त्रोतों की अनदेखी क्यों?

भारत की आधी से अधिक जनसंख्या का पालन पोषण एक मां के समान करती है गंगा. प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष..हर देशवासी कहीं न कहीं इसी गंगत्त्व से जुड़...

पानी की कहानी - अटल भूजल योजना के जरिये घर घर पानी पहुँचाने का मोदी सरकार का मिशन

पानी की कहानी - अटल भूजल योजना के जरिये घर घर पानी पहुँचाने का मोदी सरकार का मिशन

पूर्व प्रधानमंत्री स्व अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म जयंती के अवसर पर सरकार ने उन्हें श्रृद्धा अर्पित करने के लिए दो अहम योजनाओं का प्रारम्भ कि...

पानी की कहानी - गाज़ियबाद में हिंडन को स्वच्छ करने का अभियान, नालों के पानी को साफ़ करने के लिए बनेगा ट्रीटमेंट प्लांट

पानी की कहानी - गाज़ियबाद में हिंडन को स्वच्छ करने का अभियान, नालों के पानी को साफ़ करने के लिए बनेगा ट्रीटमेंट प्लांट

हिंडन को प्रदुषण मुक्त बनाने के लिए गाज़ियाबाद नगर निगम नया सीवर ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की तैयारी कर रहा है. गौरतलब है कि गाज़ियाबाद में शहरी ...

दाहा नदी - लुप्त होने की कगार पर है सीवान जिले की जीवनरेखा, संरक्षण के प्रयास जरुरी

दाहा नदी - लुप्त होने की कगार पर है सीवान जिले की जीवनरेखा, संरक्षण के प्रयास जरुरी

विगत तीन दशकों से प्रदूषण की मार झेल रही बाणेश्वरी यानि दाहा नदी की कहानी भी देश की बहुत सी छोटी नदियों की ही तरह है, जो कभी अपनी अविरल प्रव...

फल्गु नदी - अतिक्रमण और प्रदूषण की मार झेल रही है आस्था की प्रतीक रही फल्गु नदी

फल्गु नदी - अतिक्रमण और प्रदूषण की मार झेल रही है आस्था की प्रतीक रही फल्गु नदी

ऐतिहासिक फल्गु नदी, जो हिन्दुओं के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र बनकर पवित्र गया नगरी में बहती है, आज प्रदूषण और अतिक्रमण के चलते पूरी तरह सूख ...

भैंसी नदी -  विगत एक दशक से सूखी पड़ी है गोमती की यह सहायक

भैंसी नदी - विगत एक दशक से सूखी पड़ी है गोमती की यह सहायक

नदियां, जो महज पानी ढोने वाला मार्ग ही नहीं हैं, बल्कि इनके किनारे समस्त इतिहास, समग्र विरासत और तहजीब के किस्से समाये होते हैं. ऋग्वेद के अ...

प्रदूषण कर रहा है हमारे वायु, आहार और जल को विषाक्त - माइक्रोफारेस्ट बनाकर धरती को दे सकते हैं पुनर्जीवन

प्रदूषण कर रहा है हमारे वायु, आहार और जल को विषाक्त - माइक्रोफारेस्ट बनाकर धरती को दे सकते हैं पुनर्जीवन

प्रदूषित पर्यावरण दुनिया के लिए समस्या बनता जा रहा है। इससे निपटने के लिए सरकारें नई-नई पॉलिसी ला रही हैं। जिसमें पौधरोपण, सिंगल यूज्ड प्लास...

पानी की कहानी - मर रही हैं हमारी बारहमासी नदियां, पारिस्थितिक और सांस्कृतिक संवर्धन जरुरी

पानी की कहानी - मर रही हैं हमारी बारहमासी नदियां, पारिस्थितिक और सांस्कृतिक संवर्धन जरुरी

मीठे पानी के पारिस्थितिकी तंत्र के साथ अत्यधिक छेड़खानी ने भारत की हर नदी के प्राकृतिक परिदृश्य, उसके स्वरूप और प्रवाह को प्रभावित किया है। प...

प्राकृतिक जल स्त्रोतों के लिए धीमा जहर है प्लास्टिक – समय रहते बचाव जरुरी

प्राकृतिक जल स्त्रोतों के लिए धीमा जहर है प्लास्टिक – समय रहते बचाव जरुरी

तमाम विश्व आज प्लास्टिक की मार से कराह रहा है। अमेरिका जैसा विकसित देश हो या भारत जैसा विकासशील सभी प्लास्टिक के उपयोग से बढ़ने वाली दुश्वार...

पानी की कहानी - गाज़ियाबाद, गौतमबुद्धनगर और सहारनपुर जिले बना रहे हैं हिंडन को बीमार

पानी की कहानी - गाज़ियाबाद, गौतमबुद्धनगर और सहारनपुर जिले बना रहे हैं हिंडन को बीमार

जिन जिलों को वर्षों से हिंडन अपने जल, जैविक विविधता से पोषित करती आ रही थी, आज वही जिले हिंडन की बदहाली के जिम्मेदार बने हुए हैं. हाल ही में...

पानी की कहानी- मानक से अधिक हो रहा कीटनाशक का इस्तेमाल, नाले के जहरीले पानी से 25 भैंसो की मौत

पानी की कहानी- मानक से अधिक हो रहा कीटनाशक का इस्तेमाल, नाले के जहरीले पानी से 25 भैंसो की मौत

दूषित पानी का जहर सिर्फ मनुष्यों को ही बीमार नहीं कर रहा बल्कि अब जानवर भी इसके शिकार हो रहे हैं. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के चिनहट औद्य...

पानी की कहानी- यमुना के पश्चिमी तट के बाद पूर्वी तट का होगा सौन्दर्यीकरण

पानी की कहानी- यमुना के पश्चिमी तट के बाद पूर्वी तट का होगा सौन्दर्यीकरण

दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा यमुना नदी के पश्चिमी तट का सफलतापूर्वक कायाकल्प कर दिया गया है. प्राधिकरण ने नदी के पूर्वी तट के सौन्...

पानी की कहानी - गायब हो रहा है गोमुख ग्लेशियर, खतरे में गंगा का अस्तित्व

पानी की कहानी - गायब हो रहा है गोमुख ग्लेशियर, खतरे में गंगा का अस्तित्व

भारत की प्रमुख व पवित्रतम मानी जाने वाली गंगा नदी एक तरफ जहां प्रदूषण का विकराल दंश झेल रही है, वहीं दूसरी ओर इसकी जलधारा को स्त्रोत देने वा...

पानी की कहानी - मनरेगा फंड से होगा नदियों का पुनर्रूद्धार

पानी की कहानी - मनरेगा फंड से होगा नदियों का पुनर्रूद्धार

पवित्र नदियों में बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम के लिए केन्द्र सरकार के साथ ही उत्तर- प्रदेश सरकार द्वारा भी लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, हालांकि...

गगास नदी

गगास नदी

संक्षिप्त परिचय –उत्तराखण्ड की पहाड़ी नदियों में से एक गगास नदी राज्य में बहने वाली एक लघु जलधारा है. यह एक ऐसी नदी है, जिसका उद्गम दो स्थान...

विनोद नदी

विनोद नदी

संक्षिप्त परिचय –विनोद नदी उत्तर भारत की छोटी नदियों में से एक है. यह उत्तराखण्ड राज्य में प्रवाहित होती है. विनोद नदी एक पहाड़ी नदी है, जिस...

दामोदर नदी

दामोदर नदी

संक्षिप्त नदी –पश्चिमी भारत की नदियों में से एक दामोदर नदी एक छोटी जलधारा के रूप में बहती है. यह नदी मुख्यतः झारखंड व पश्चिम बंगाल राज्य के ...

सबरी नदी

सबरी नदी

संक्षिप्त परिचय –सबरी नदी दक्षिण – पश्चिमी भारत में बहने वाली प्रमुख नदियों में से एक है. नदी का उद्गम उड़ीसा राज्य में सिंकाराम की पहाड़ियो...

हसदो नदी

हसदो नदी

संक्षिप्त परिचय -हसदो नदी छत्तीसगढ़ राज्य में बहने वाली प्रमुख नदियों में से एक है. इसे ‘हसदेव’ नदी के नाम से भी जानते हैं. नदी का उद्गम कोर...

जानकारी

सबस्क्राइब करें

जल पर संकट सम्पूर्ण मानव प्रजाति, वर्षों पुरानी सभ्यता एवं संस्कृति पर भी एक विकट संकट है. जल संकट की समस्या को लेकर विभिन्न प्रकृति प्रेमी, पर्यावरणविद एवं सामाजिक कार्यकर्त्ता समस्याओं की जड़ तक जाकर उनके उचित समाधानों को खोजने और ज़मीनी स्तर पर उनके क्रियान्वन को दस्तावेज़ित करने का प्रयास इस पोर्टल के माध्यम से कर रहे हैं. कृपया हमसें जुड़े एवं प्रासंगिक अपडेट प्राप्त करने हेतु अपना नाम और ईमेल भरें. 

© पानी की कहानी Creative Commons License
All the Content is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Terms  Privacy