खुद वह बदलाव बनिए जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं. (महात्मा गाँधी)
मोहनदास करमचंद गांधी केवल एक नाम नहीं है, अपितु भारतीयता का एक समग्र दृष्टिकोण है, जिसके गूढ़ अर्थ को यदि सारगर्भित कर लिया जाये तो व्यक्तिगत, सामुदायिक अथवा देशीय स्तर पर विकास के नए समीकरण प्राप्त किये जा सकते हैं. गांधीवाद सिद्धांत के अनुसार भारत एक ऐसा देश है, जिसे कर्मभूमि मानकर व्यक्ति चंहुमुखी उन्नति कर सकता है. बापू की पुण्यतिथि के अवसर पर आइये आत्मसात करें उनके जीवन के वह सिद्धांत, जिन्होंने उनके साधारण से जीवन को असाधारण बनाया.
1. महात्मा गाँधी सत्य को अपने जीवन का सर्वोपरि सिद्धांत मानते थे. उनका मानना था कि सत्य ईश्वर है और हम सभी के वचनों और आचरण में सत्य होना चाहिए.
2. महात्मा गाँधी के जीवन का सबसे बड़ा सिद्धांत अहिंसा थी, उनका स्पष्ट रूप से कहना था कि ऐसा कोई भी कार्य करना सृष्टि के नियमों के विपरीत है, जिससे किसी को भी पीड़ा हो. उन्होंने लिखा है कि, "मन, वचन और कार्यों से किसी को भी दुःख नहीं पहुंचाना अहिंसा है.
3. गाँधी जी सादा जीवन जीने में विश्वास रखते थे, वह स्वयं अपने काते हुए सूत से बने कपड़े पहनते थे और अपना उगाया भोजन, वह भी सादे रूप में ग्रहण किया करते थे. उन्होंने सही मायनों में सादा जीवन, उच्च विचार की संकल्पना को सिद्ध किया, जिसके लिए समाज सदैव उनका ऋणी रहेगा.
4. अंग्रेजी के कवि टेनिसन ने लिखा है, “प्रार्थना से वह सब कुछ संभव हो जाता है, जिसकी संसार कल्पना नहीं कर सकता।” महात्मा गाँधी भी इस विचारधारा को मानते थे, दक्षिण अफ्रीका में रहने के दौरान ही उन्होंने सार्वजनिक प्रार्थना सभाओं का संचालन शुरू कर दिया था और अपने जीवन के अंतिम समय में भी वह प्रार्थना सभा से ही उठ रहे थे, जब नाथूराम गोडसे ने उनकी हत्या कर दी थी. उनके मुख से निकले अंतिम शब्द भी "हे राम" ही थे.
5. मौन सिद्धांत भी महात्मा गाँधी के जीवन का प्रमुख अंग रहा है, वह व्यर्थ के वार्तालाप में विश्वास नहीं रखते थे. साथ ही सप्ताह में एक दिन मौन धारण करना उनके जीवन का अभिन्न अंग था. आंतरिक शांति के लिए वह मौन रहने को सबसे बड़ी ताकत मानते थे.
6. ब्रम्हचर्य को भी महात्मा गाँधी जीवन का सबसे बड़ा व्रत मानते थे, उनका मानना था कि जो व्यक्ति अपने मन और विचारों पर नियंत्रण रख सकता है वह निश्चय ही समाज को एक नयी दिशा देता है.
तो आइये गाँधी जी के जीवन के इन उच्च विचारों को अपने जीवन में भी आत्मसात करें और निज उन्नति के साथ साथ देश को भी प्रगति के मार्ग पर उन्मुख करते हुए आगे बढ़े, यही राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के चरणों में हमारी सच्ची श्रृद्धांजलि होगी.