"पानी की कहानी" एक गहन खोज, अभियान और आत्ममंथन है, जिसके माध्यम से विभिन्न प्रकृतिप्रेमी जल- संरक्षण, जल- संचयन, जल- प्रदूषण इत्यादि समस्याओं पर अथक रूप से कार्यरत हैं.
भारत में पानी की व्यवस्था संकट में है, कहीं शहरी बाढ़ और तो कहीं सूखा. नदियों के किनारे के गाँव जहाँ फ्लोरोसिस और कैंसर से जूझ रहे हैं वहीँ शहर पानी से कहीं दूर आर. ओ. और बोतल बंद पानी के पीछे जा छुपे हैं. छोटी नदियाँ सूख रही हैं, पुराने कैचमेंट और बहाव क्षेत्र कहीं प्रदूषण, तो कहीं कचरे के ढेर तो कहीं शहरीकरण के दबाव में खो गए हैं. जलचर, पशु और वनस्पतियाँ लुप्तप्राय होती जा रही हैं. भूजल लगातार नीचे जा रहा है और उसके ऊपर से धरती का तापमान बढ़ने से बारिश के भी माइक्रो क्लाइमेट बन गए हैं. खेती करना दिनों दिन मुश्किल होता जा रहा है.
संक्षेप में भारत की सभ्यता जिन कुछ आधारों पर टिकी हुई थी, संकट आज सीधे उन्हीं पर प्रहार कर रहा है.
पानी की कहानी एक प्रयास है, हमारे आस पास के पानी के स्त्रोतों के बारे में जानने का, उनपर क्या संकट है समझने का और उसको कैसे दूर किया जाए उसपर मंथन करने का.
अगर आप अपने इलाके में ऐसी ही किसी पानी की कहानी से सरोकार रखते हैं तो ज़रूर संपर्क करें और अपने कार्यों, रिसर्च, मुहिमों के बारे जनहित में जानकारी दें.
शहरीकरण की भेंट चढ़ती हमारी जल वाहिकाएं
गोमती नदी व उसके जलग्रहण क्षेत्र पर किये गये विभिन्न अध्ययनों, शोधों और संरक्षण अभियानों की संक्षेप में जानकारी।
यमुना नदी व उसके जलग्रहण क्षेत्र पर किये गये विभिन्न अध्ययनों, शोधों और संरक्षण अभियानों की संक्षेप में जानकारी।
गंगा नदी व उसके जलग्रहण क्षेत्र पर किये गये विभिन्न अध्ययनों, शोधों और संरक्षण अभियानों की संक्षेप में जानकारी।
हिंडन नदी व उसके जलग्रहण क्षेत्र पर किये गये विभिन्न अध्ययनों, शोधों और संरक्षण अभियानों की संक्षेप में जानकारी।
साबरमती नदी व उसके जलग्रहण क्षेत्र पर किये गये विभिन्न अध्ययनों, शोधों और संरक्षण अभियानों की संक्षेप में जानकारी।