संक्षिप्त परिचय –
उत्तर- प्रदेश में बहने वाली वरूणा नदी राज्य में गंगा की सहायक नदियों में से एक है. वरूणा नदी कोई साधारण नदी न होकर वह नदी है, जिसके नाम पर वाराणसी शहर का नाम पड़ा. वाराणसी वरूणा और असी नदी के बीच में बसा हुआ है. कहा जाता है कि इसी कारण इस शहर का नाम ‘वाराणसी’ रखा गया. वरूणा नदी का उद्गम उत्तर- प्रदेश के तीन जिलों प्रयागराज, जौनपुर व प्रतापगढ़ राज्य की सीमा से हुआ है. नदी का मूल उद्गम स्त्रोत ‘मैलहन’ नामक झील है. वरूणा नदी अपने संक्षिप्त सफ़र के अंत में गंगा नदी से मिल जाती है.
पौराणिक महत्व –
गंगा नदी से भी अधिक प्राचीन मानी जाने वाली वरूणा नदी का चार वेदों में से एक अथर्ववेद में ‘वरणावती’ नाम से उल्लेख देखने को मिलता है. इसके अलावा ब्रह्मपुराण में भी पवित्र वरूणा नदी का असी नदी के साथ महिमामंडन किया गया है. वहीं वरूणा नदी व वाराणसी के संबंध के बारे में एक कहावत भी प्रचलित है, ‘वरूणा पाप हरना, काशी पाप नाशी’, अर्थात् वरूणा नदी पापों का हरण करती है और काशी में पापों का नाश होता है.
प्रवाह क्षेत्र –
वरूणा नदी प्रमुख रूप से वाराणसी तथा आस- पास के क्षेत्रों में प्रवाहित होती है तथा वनारस के आदिकेशव घाट में गंगा नदी में विलीन हो जाती है. वहीं यह नदी म.प्र. के कुछ भूभागों में भी बहती है, जहां इसे नर्मदा की सहायक नदी के रूप में जाना जाता है. वरूणा नदी मध्य- प्रदेश में नर्मदा नदी से मिल जाती है.