संक्षिप्त परिचय –
तमसा नदी उत्तर भारत की प्रमुख नदियों में से एक है, जिसे ‘टोंस’ नाम से भी जानते हैं. यह नदी उत्तराखण्ड से निकलती है, जो कि राज्य की एक मुख्य नदी है. तमसा नदी का उद्गम उत्तरकाशी जिले में ‘हर की दून’ घाटी से माना जाता है. यह नदी कर्मनाशा व रूपिन नदी के संगम से बनी है. तमसा नदी यमुना की सहायक नदी है, जो कि कालसी में यमुना नदी से मिलती है.
तमसा नदी की एक अन्य जलधारा मध्य- प्रदेश में कैमूर की पहाड़ियों से निकलती है, जिसका मूल उद्गम स्त्रोत तमसाकुंड है. तमसा की यह धारा उत्तर- प्रदेश में गंगा नदी से मिलती है.
पौराणिक महत्व –
प्राचीन तमसा नदी का वाल्मिकी रामायण के साथ ही तुलसीदास रामायण में भी उल्लेख किया गया है. इसके अलावा इस पौराणिक नदी का महाभारत व कालिदास द्वारा रचित रघुवंश में भी वर्णन है. जिसके अंतर्गत वाल्मिकी रामायण के अयोध्या कांड में इस नदी का सरयू नदी के साथ उल्लेख है, जो कि अयोध्या के निकट बहती थी. साथ ही यह भी वर्णित है कि भगवान श्रीराम, सीता जी व उनके भाई लक्ष्मण ने वन को जाते हुए मार्ग में प्रथम रात्रि तमसा नदी के तट पर ही बितायी थी. तुलसीदास रामायण में भी वनगमन के वर्णन के दौरान तमसा नदी का उल्लेख किया गया है.
इसके अलावा रघुवंश के आधार पर मान्यता है कि महर्षि वाल्मिकी का आश्रम तमसा नदी के तट पर ही बना हुआ था, जहां भगवान श्रीराम द्वारा निर्वासित किए जाने के बाद सीता जी निवास करती थीं.
प्रवाह क्षेत्र –
हिमालय की पर्वतमालाओं से निकलने के बाद शिवालिक श्रेणियों में बहते हुए तमसा नदी की जलधारा उत्तराखण्ड के देहरादून जिले में बहती है. जहां से विभिन्न क्षेत्रों में बहते हुए कालसी नामक स्थान पर तमसा का यमुना नदी से संगम हो जाता है.
वहीं कैमूर की पहाड़ियों से निकलने वाली तमसा की जलधारा मध्य- प्रदेश व उत्तर- प्रदेश राज्य में प्रवाहित होती है, जो कि उ.प्र. में बलिया जिले में गंगा नदी में समाहित हो जाती है.