संक्षिप्त परिचय -
सतलज नदी उत्तर भारत में बहने वाली प्रमुख व प्राचीन नदियों में से एक है, जो कि पंजाब की सबसे लम्बे नदी है. सतलज नदी का उद्गम पवित्र कैलाश मानसरोवर के पश्चिमी भाग में स्थित रावणह्रद नामक झील से होता है. भारत के अलावा यह नदी पाकिस्तान में भी बहती है. ब्यास नदी सिंधु की मुख्य सहायक नदी है. पाकिस्तान के बहावलपुर नामक स्थान पर यह चिनाब व अन्य तीन नदियों से मिलकर ‘पंचनद’ का निर्माण करती है. सतलज नदी सिंधु नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है, जिसका पाकिस्तान पहुंचकर सिंधु में संगम होता है. प्रसिद्ध भाखड़ा- नांगल बांध इसी नदी पर बना हुआ है.
ऐतिहासिक महत्व –
पौराणिक इतिहास में ‘शतद्रु’ के नाम से वर्णित सतलज नदी का कई प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख किया गया है. जिनमें महाभारत, रामायण, विष्णुपुराण आदि पवित्र हिन्दु ग्रंथ शामिल हैं. वाल्मिकी रामायण के आधार पर भगवान श्री राम के भाई व कैकयी के पुत्र भरत शतद्रु नदी को पार करके अयोध्या आए थे. इसके अलावा सतलज नदी को लेकर अन्य भी कई पौराणिक मान्यताएं हैं.
प्रवाह क्षेत्र –
अपने उद्गम स्त्रोत से निकलने के बाद सतलज नदी कैलाश पर्वत के समीप से बहती है, जहां से यह हिमाचल प्रदेश राज्य में प्रवेश करती है. हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी भागों में बहते हुए यह पंजाब की ओर मुड़ जाती है, जहां से आगे बढ़ते हुए शिवालिक श्रेणी के बीच अपनी जलधारा को प्रवाहित करती है. रोपड़ नामक स्थान से मैदानी भाग पर उतरने के बाद मध्य पंजाब में बहते हुए सतलज नदी पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश करती है, जहां बहावलपुर में इसका चिनाब नदी से संगम होता है, जो कि आगे चलकर सिंधु नदी में समाहित हो जाती है.