संक्षिप्त परिचय –
उत्तर- प्रदेश में बहने वाली पांडु नदी राज्य के मैदानी भाग से निकलने वाली नदियों में से एक है. इसका जन्म गंगा नदी से ही माना जाता है तथा यह गंगा की जलधारा के रूप में प्रवाहित होते हुए अंत में इसी में समाहित हो जाती है. पांडु नदी एक बरसाती नदी है, जो कि उत्तर- प्रदेश की सीमा में ही बहती है. किन्तु यह नदी आज प्रदूषण का भीषण दंश झेल रही है.
पांडु का सफ़र –
पांडु नदी उत्तर- प्रदेश में प्रमुख रूप से पांच जिलों में प्रवाहित होती है. इस दौरान पांडु नदी फर्रूखाबाद से निकलकर सूबे के अन्य जिलों फतेहपुर, कानपुर नगर, कानपुर देहात व कन्नौज के कई क्षेत्रों व गांवों से होकर गुजरती है. अपने प्रवाह क्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाले क्षेत्रों को सिंचित करते हुए यह अंत में गंगा की चिर जलधारा में विलीन हो जाती है.
खतरे में पांडु का अस्तित्व –
कभी एक सदानीरा नदी के रूप में बहने वाली पांडु नदी आज एक बरसाती नदी बनकर रह गई है. जो नदी अपने जल से कई क्षेत्रों को हरा- भरा करती थी, वह आज विलुप्त होने की कगार पर है. जिसका प्रमुख कारण है नदी पर हो रहा अतिक्रमण. अतिक्रमणकारियों द्वारा नदी के जल व स्वरूप को काफी नुकसान पहुंचाया गया है, जिसके चलते आज इसके अस्तित्व पर ही खतरा मंडराने लगा है. कई जगह पर तो नदी के स्वरूप को नाले में तब्दील किया जा चुका है. वहीं पांडु नदी के जल का दूषित होना इस पर निर्भर लोगों के लिए भी चिंता का सबब बन चुका है.