संक्षिप्त परिचय –
अलकनंदा नदी की प्रमुख सहायक नदियों में से एक नंदाकिनी नदी एक छोटी जलधारा के रूप में बहती है. जिसका उद्गम उत्तराखण्ड में ‘नंदा देवी’ नामक पर्वत से होता है. ‘नंदा देवी’ पर्वत से निकलने के कारण ही इस नदी का नाम ‘नंदाकिनी’ पड़ा. इस नदी का सफ़र उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों तक ही सीमित है.
नंदाकिनी गंगा नदी की पांच प्रारंभिक नदियों में से एक है, जो कि पंचप्रयाग का निर्माण करती हैं. नंदाकिनी नदी ‘नंदप्रयाग’ नामक स्थान पर अलकनंदा नदी से मिलती है, जो कि देवप्रयाग में भागीरथी से मिलने के बाद गंगा की जलधारा के रूप में प्रवाहित होती है. नंदाकिनी के अलावा चार अन्य नदियां भी उत्तराखण्ड के अलग- अलग स्थानों पर अलकनंदा नदी से मिलती हैं.
पौराणिक महत्व –
पवित्र नंदाकिनी नदी का ‘स्कन्दपुराण’ में महिमामंडन किया गया है. नंदाकिनी नदी के तट पर स्थित नंदप्रयाग ‘पंचप्रयागों’ में दूसरे स्थान पर है. स्कन्दपुराण के आधार पर नंदप्रयाग को ‘कण्व आश्रम’ के रूप में जाना जाता था. यह आश्रम दुष्यन्त और शकुन्तला की ऐतिहासिक कथा का साक्षी रहा है.
वहीं नंदप्रयाग के नामकरण को लेकर मान्यता है कि इसी स्थान पर नंद महाराज ने भगवान नारायण की तपस्या की थी, जिस कारण इस जगह का नाम ‘नंदप्रयाग’ पड़ा.
नंदाकिनी के तट पर बसे तीर्थ –
गढ़वाल क्षेत्र के चमोली जिले के अंतर्गत नंदाकिनी के तट पर नंदप्रयाग में कई मंदिर व तीर्थस्थल भी बसे हुए हैं. जिसके अंतर्गत प्रमुख रूप से नंदादेवी मंदिर व चंडिका मंदिर शामिल है. इसके अलावा नंदप्रयाग स्वयं में ही एक तीर्थस्थल है, जहां अलकनंदा व नंदाकिनी के पवित्र संगम का मनोरम दृश्य दिखाई देता है. वहीं बद्रीनाथ धाम इस स्थल से कुछ कि.मी. की दूरी पर ही स्थित है.