संक्षिप्त परिचय -
उत्तर- भारत में बहने वाली नदियों में से एक कृष्णी नदी हिंडन की प्रमुख सहायक नदियों में से एक है. नदी का उद्गम स्थान उत्तर- प्रदेश का सहारनपुर जिला है. प्रदेश के विभिन्न जिलों से बहते हुए यह नदी बागपत में हिंडन नदी में मिल जाती है. इस दौरान कृष्णी नदी लगभग 130 कि.मी. की यात्रा तय करती है. आज प्रदूषण के कारण हिंडन नदी का अस्तित्व खतरे में है, जिसके चलते हिंडन की अन्य सहायक नदियों की तरह कृष्णी नदी की स्थिति भी गंभीर होती जा रही है.
प्रवाह क्षेत्र –
कृष्णी नदी प्रमुख रूप से उत्तर- प्रदेश राज्य में ही प्रवाहित होती है. सहारनपुर से अपनी यात्रा की शुरूआत करने के बाद यह नदी राज्य के मुजफ्फरनगर, शामली तथा मेरठ आदि प्रमुख जिलों से होकर गुजरती है. अंत में बागपत जिले के बरनावा नामक स्थान पर कृष्णी नदी हिंडन में जाकर समाहित हो जाती है. अतः यह कहा जा सकता है कि ‘बरनावा’ हिंडन व कृष्णी नदी का संगम स्थल है.
दूषित हो रहा कृष्णी का जल –
कृष्णी नदी आज से 25- 30 वर्ष पहले इसके किनारे पर स्थित सहारनपुर तथा अन्य गांवों के लोगों के लिए शुद्ध व शीतल जल का साधन हुआ करती थी, किन्तु वर्तमान में यह नदी अपने आस- पास के क्षेत्र में हुए औद्योगिक आधिपत्य के कारण संकट में है. पिछले कुछ वर्षों से जिस तरह से कृष्णी नदी में उद्योगों जैसे कि सुगर मिल, डेयरी उत्पाद तथा भट्टियों से निकलने वाले गंदे व विषैले पदार्थों को बिना किसी परवाह के काफी बड़ी मात्रा में डाला जा रहा है, उस कारण रोगों से बचाव करने वाली यह जीवनदायिनी नदी आज घातक रोगों को जन्म दे रही है.
जगह- जगह नदी के जल में गिर रहे अपशिष्ट से कृष्णी नदी का स्वरूप नाले में परिवर्तित होता जा रहा है. नदी के जल के प्रयोग से इसके तटों पर बसे लोग सांस, त्वचा, पेट, फेफड़े से सम्बंधित रोगों तथा कैंसर तक से ग्रसित हो रहे हैं. नदी का शुद्ध पेयजल आज पीने तो दूर हाथ धुलने के योग्य भी नहीं रहा. इसके बावजूद प्रशासन इस मुद्दे के प्रति काफी लापरवाह नजर आ रहा है.