संक्षिप्त परिचय -
कोसी नदी नेपाल व उत्तर भारत में बहने वाली प्राचीन नदी है. जिसका उद्गम नेपाल देश में हिमालय की चोटियों से होता है. यह गंगा नदी की प्रमुख सहायक नदियों में से एक है. भारत और नेपाल के अलावा यह नदी तिब्बत के कुछ भागों में भी प्रवाहित होती है. नेपाल में इसे कोशी कहकर संबोधित करते हैं. इसके अलावा इस नदी की जलधारा विश्व के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर माउंट एवरेस्ट व कंचनजंघा की पर्वत श्रेणियां तक भी फैली हुई है. नेपाल से निकलने के बाद भारत आकर बिहार राज्य के कुरसेला नामक स्थान के समीप गंगा में संगम के साथ ही कोसी नदी की यात्रा समाप्त हो जाती है.
ऐतिहासिक महत्व –
प्राचीनकाल से धरती पर प्रवाहित हो रही कोसी नदी धार्मिक व पौराणिक रूप से अत्यन्त महत्वपूर्ण है. प्राचीन काल में इसे कौशिकी के नाम से संबोधित किया जाता था, जिसका महाभारत व ऋग्वेद जैसे श्रेष्ठ हिन्दू ग्रंथों में उल्लेख भी किया गया है. इसके नामकरण को लेकर मान्यता है कि महर्षि विश्वामित्र के गुरू कुशिक इसी नदी के तट तप किया करते थे तथा उन्हीं के नाम पर इसका नाम ‘कौशिकी’ पड़ा.
‘सप्तकोसी’ की उत्पत्ति –
कोसी नदी की उत्पत्ति सात धाराओं के संगम से होती है, जिस कारण नेपाल में इसे ‘सप्तकोसी’ के नाम से भी जाना जाता है. नेपाल में बहने वाली इन सात नदियों को सुनकोसी, भोट कोसी, इन्द्रावती, तांबा कोसी, दूध कोसी, लिक्षु कोसी, तामर कोसी व अरूण कोसी नदी के नाम से जाना जाता है. सात नदियों के सम्मिलित प्रवाह से निर्मित होने के कारण इस नदी को महाकोसी भी कहते हैं.
प्रवाह क्षेत्र –
नेपाल के शीर्ष पहाड़ी क्षेत्रों का भ्रमण करती हुई कोसी नदी शिवालिक की श्रेणियों में बहते हुए आगे बढ़ती है, जहां से यह में हनुमान नगर के करीब से उत्तरी भारत के मैदानी भागों प्रवेश करती है. भारत में यह नदी मुख्यतः बिहार के उत्तरी भाग में प्रवाहित होती है. जिसके अंतर्गत सुपौल, सहरसा, कटिहार आदि जिले शामिल हैं. अंत में कटिहार जिले के कुरसेला के समीप कोसी नदी गंगा में समाहित हो जाती है.