संक्षिप्त परिचय –
दक्षिण भारत की प्रमुख नदियों में से अत्यन्त महत्वपूर्ण गोदावरी नदी, गंगा नदी के बाद भारत की दूसरी सबसे लम्बी नदी है. वहीं यह नदी प्रायद्वीपीय भारत की सबसे बड़ी नदी के रूप में भी जानी जाती है. नदी का उद्गम महाराष्ट्र के नासिक के समीप त्रयंबक की पहाड़ियों से माना जाता है. त्रयंबक से निकलकर लगभग 1460 कि.मी. का सफर तय करते हुए यह नदी सप्त धाराओं में विभाजित होकर बंगाल की खाड़ी में विलीन हो जाती है. गोदावरी नदी दक्षिण भारत के महाराष्ट्र, आंध्र- प्रदेश, तेलगांना व छत्तीसगढ़ राज्य में प्रवाहित होती है तथा इन राज्यों की जीवनरेखा भी कही जाती है. इन राज्यों का प्रमुख जल स्त्रोत होने के साथ ही गोदावरी नदी यहां की अर्थव्यवस्था को भी गति प्रदान करती है.
सप्त धाराएं –
एक छोटी सी धारा से रूप में उद्गमित होने वाली गोदावरी नदी अपनी अविरल यात्रा के दौरान सात धाराओं में विभाजित हो जाती है तथा सात धाराओं के रूप में ही समुद्र में मिलती है. सात धाराओं में विभाजित होने के कारण इस नदी को सप्त गोदावरी भी कहते हैं. ये सप्त धाराएं इस प्रकार हैं –
गौतमी, वसिष्ठा, आत्रेयी, कौशिकी, तुल्या, भारद्वाजी व वृद्ध गौतमी.
ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व –
“सप्तगोदावरी स्नात्वा नियतो नियताशन:
महापुण्यमप्राप्नोति देवलोके च गच्छति’’
“सप्तगोदावरी में स्नान करने से महापुण्य व देवलोक की प्राप्ति होती है.”
गंगा नदी की भांति ही गोदावरी नदी का भी कई ऐतिहासिक पुराणों में प्रमुखता से उल्लेख मिलता है. इस नदी को ‘बूढ़ी गंगा’ व ‘प्राचीन गंगा’ के नाम से भी जाना जाता है. जिसका प्रमुख कारण नदी की उत्पत्ति को लेकर प्रचलित प्राचीन मान्यता है. जिसके अंतर्गत महर्षि गौतम की तपस्या से प्रसन्न होकर रूद्र देव (भगवान शिव) ने अपने एक बाल से गंगा की एक धारा को प्रवाहित किया. इसी नदी गोदावरी व गौतमी कहा जाता है.
वहीं रामायण में वर्णित दण्डकारण्य वन, जहां भगवान श्रीराम, माता सीता व लक्ष्मण जी वनवास के समय पंचकुटी में निवास करते थे, उस स्थान के निकट गोदावरी नदी प्रवाहित होती थी. रामायण में उल्लेख के साथ ही वराहपुराण व ब्रह्मपुराण में भी गोदावरी नदी का विस्तृत वर्णन दिया गया है. इसके अलावा गोदावरी नदी के तट पर त्रयंबकेश्वर, नासिक, पुष्करम समेत कई तीर्थस्थल स्थित हैं.
सहायक नदियां –
नासिक के त्रयंबक से निकलकर गोदावरी नदी कई छोटी- बड़ी नदियों को स्वयं में समाहित करते हुए अपना सैकड़ों कि.मी. लम्बा सफर तय करती है. आंध्र प्रदेश में यह नदी कृष्णा नदी में मिलती है तथा एक डेल्टा का निर्माण करती है. आंध्र प्रदेश स्थित कृष्णा- गोदावरी (बहुधा केजी) डेल्टा भारत का दूसरा सबसे बड़ा डेल्टा है.
इसके अलावा बाणगंगा, पूर्णा, सबरी, इंद्रावती, मुजीरा, मनेर, प्रवर, सिंधुकाना, क़दम आदि गोदावरी नदी की कुछ प्रमुख सहायक नदियां हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में प्रवाहित होते हुए इस नदी में मिल जाती हैं. वहीं श्रीराम सागर डैम नदी पर बने हुए सबसे प्रमुख बांध के रूप में जाना जाता है.
प्रदूषण से पीड़ित ‘गोदावरी’ –
लाखों लोगों, जीव- जन्तुओं के लिए जल के साथ ही जीवन का प्रमुख स्त्रोत बन चुकी गोदावरी नदी आज स्वयं प्रदूषण से पीड़ित है. कई फैक्ट्रियों, उद्योगों का गंदा पानी नदी में गिरने तथा जनता व प्रशासन के लापरवाह रवैये के कारण नदी का जल दूषित हो रहा है. जो कि इस पर आश्रित लोगों के लिए चिंता का सबब है.
2015 में नासिक कुंभ मेले के आयोजन के दौरान नदी में प्रदूषण बढ़ने के चलते बॉम्बे हाईकोर्ट ने कड़ी आपत्ति जतायी थी तथा प्रशासन से नदी की सफाई के लिए 8 दिन में जारी की जाने वाली राशि का जवाब मांगा था तथा जबाव न मिलने पर कुंभ आने वाले लोगों को रोकने तक का नोटिस जारी करने की बात कही थी.