संक्षिप्त परिचय –
गंगा की सप्तधाराओं में से एक के रूप में जानी जाने वाली गंडक नदी बिहार राज्य की प्रमुख नदियों में से एक है. यह नदी काली और त्रिशूली नदियों के संगम से बनी है. इसे गंडकी व नारायणी नदी के नाम से भी संबोधित किया जाता है. गंडक नदी भारत के साथ ही नेपाल में भी प्रवाहित होती है तथा नदी का उद्गम नेपाल स्थित हिमालय की पर्वतमालाओं से होता है. यह नदी उत्तर भारत में गंगा की मुख्य सहायक नदियों में शामिल है, जो कि पटना में गंगा में समाहित हो जाती है. यह एक सदानीरा नदी है, जो कि बूढ़ी गंडक नदी के समानान्तर बहती है. बूढ़ी गंडक नदी गंडकी नदी की ही पुरानी जलधारा है.
गंडकी की यात्रा –
नेपाल से निकलने वाली इस नदी के सफ़र की शुरूआत काली व त्रिशूली नदियों के संगम के साथ होती है. नेपाल में इस नदी को नारायणी के नाम से जानते हैं. नेपाल के मध्य भाग पर बहते हए यह नदी भारत की ओर मुड़ती है तथा भारत के उत्तरी राज्य बिहार में प्रवेश करती है, जहां इसे गंडक या गंडकी नदी के नाम से संबोधित किया जाता है. बिहार में बूढ़ी गंडक नदी के समानान्तर बहते हुए गंडक नदी मुजफ्फरनगर, चंपारन, सोनपुर, सारन, बेनी आदि जिलों में अपने जल को प्रवाहित करती है. बिहार राज्य में ही पटना जिले के समीप गंडक का गंगा नदी में संगम हो जाता है.
अन्य नाम –
गंडक एक ऐतिहासिक नदी है, जिसका अलग- अलग नाम से उल्लेख मिलता है. नारायणी और गंडकी के अलावा गंगा नदी की सात धाराओं में से एक होने के कारण इसे 'सप्तगंडकी' के नाम से जाना जाता है. इसके अलावा महाभारत में भी इस नदी का वर्णन किया गया है. इसके अलावा प्राचीन साहित्य में सदानीरा व मही नदी के नाम से भी इस नदी का उल्लेख देखने को मिलता है.