संक्षिप्त परिचय –
पूर्वी काली नदी उत्तर- प्रदेश में बहने वाली प्रमुख नदियों में से एक है. इसका उद्गम मुजफ्फरनगर जिले से जानसठ तहसील के अंतर्गत आने वाले अंतवाड़ा नामक गांव से होता है. इस नदी की शुरूआत एक छोटी जलधारा के रूप में होती है. यह गंगा नदी की सहायक नदी है, जो कि उत्तर- प्रदेश राज्य के ही विभिन्न जिलों में प्रवाहित होती है तथा अंत में कन्नौज के पास गंगा नदी में मिल जाती है. वर्तमान मे पूर्वी काली नदी के मार्ग में कई नाले इससे मिल रहे हैं, जिसके चलते इसका जल बुरी तरह दूषित हो चुका है.
ऐतिहासिक महत्व –
पूर्वी काली नदी की उत्पत्ति को लेकर एक किंवदन्ती प्रचलित है. जिसके आधार पर अंतवाड़ा गांव में एक संत थे, जो कि महाले वृक्ष के पास एक झोपड़ी में निवास करते थे. वह नियमित रूप से गांव से दूर गंगा स्नान के लिए जाते थे. किन्तु वृद्ध होने के बाद वह प्रतिदिन इतनी दूर जाने में असमर्थ हो गए, तब उन्होंने मां गंगा से उनके निवास के निकट प्रवाहित होने का निवेदन किया.
इसके अगले दिन उनकी झोपड़ी के बगल में खड़े महाले के पेड़ पर दो बैलों ने प्रहार किया. पेड़ में सांपों का बिल था, पेड़ के गिरने से सांप बाहर आ गए. मान्यता है कि उस समय एक मादा सांप जिस मार्ग से गुजरी, उस स्थान पर जलधारा प्रकट हुई, जिसे आज पूर्वी काली नदी के नाम से जानते हैं. किन्तु वैज्ञानिक आधार पर नदी की उत्पत्ति को लेकर कोई भी प्रमाण नहीं मिले हैं.
प्रवाह क्षेत्र –
मुजफ्फरनगर से अपने सफ़र की शुरूआत करने वाली पूर्वी काली नदी जिले की प्रमुख नदी है. मुजफ्फरनगर से यह नदी मेरठ के कुधाला, आध, भदोली व अटरारा आदि गांवों से गुजरते हुए हापुड़ में प्रवेश करती है. जहां हापुड़- गढ़ रोड से बहते हुए यह नदी बुलन्दशहर के विभिन्न क्षेत्रों में प्रवाहित होती है. इसके बाद पूर्वी काली नदी अलीगढ़, कासगंज, फर्रूखाबाद व एटा जिलों में बहते हुए कन्नौज की ओर मुड़ती है तथा कन्नौज से कुछ दूर पहले ही इसका गंगा नदी में संगम हो जाता है. इस दौरान बड़ी संख्या में नाले व अपशिष्ट नदी में गिरने से इसका जल काला हो जाता है.