संक्षिप्त परिचय -
सोमेश्वर की पहाड़ियों से निकलने वाली बूढ़ी गंडक नदी एक पुरानी जलधारा है तथा इसे गंगा की सात धाराओं में से एक मानी जाने वाली गंडकी नदी का प्रतिरूप माना जाता है. इसे शुरूआत में सिकराना नदी के नाम से भी जानते हैं. यह गंडक नदी की एक परित्यक्त धारा है जो कि उसके समान्तर बहती है. बूढ़ी गंडक नदी का उद्गम स्थल मूलरूप से भारत के बिहार राज्य के पश्चिम चंपारण में रामनगर व बगहा के बीच स्थित चऊतरवा चौर को माना जाता है. यह गंगा नदी की एक सहायक नदी है तथा इसे उत्तर बिहार की सबसे लम्बी नदी के रूप में भी जाना जाता है.
प्रवाह क्षेत्र -
यह नदी अपने 320 किलोमीटर के इस सफर में बिहार राज्य के पूर्वी चम्पारण, मुजफ्फरनगर, समस्तीपुर, खगड़िया समेत कई अन्य जिलों से होकर गुजरती है. बूढ़ी गंडक नदी उत्तरी बिहार के मैदान को दो भागों में बांटती है तथा इसकी धारा का बहाव उत्तर- पश्चिम से दक्षिण- पश्चिम दिशा की ओर है. अपनी यात्रा की शुरूआत में यह नदी पहले 56 किलोमीटर चलने के बाद दक्षिण की ओर मुड़ती है.
सोमेश्वर की श्रेणियों से निकलने के बाद से यह नदी सिकराना के नाम से जानी जाती है, लेकिन अपने मार्ग में तिऊर नदी से मिलने के बाद इसे बूढ़ी गंडक नदी कहा जाने लगता है. इसके बाद यह नदी मुजफ्फरनगर व दरभंगा जिले में प्रवेश करती है तथा दक्षिण- पूर्व दिशा में बहते हुए आगे बढ़ती है. यहां से यह नदी समस्तीपुर और बेगुसराय पहुंचती है, जहां यह सर्पीले आकार में बहने लगती है. इसी आकार में बहते हुए यह मुंगेर के पूर्वोत्तर में खगड़िया में गंगा नदी में समा जाती है. गंगा नदी में समाहित होने के साथ ही इस ऐतिहासिक नदी का सफर समाप्त हो जाता है.
सहायक नदियां –
वैसे तो बूढ़ी गंडक नदी स्वयं ही गंगा नदी की सहायक नदी हैं, किन्तु इसकी भी कई सहायक नदियां हैं जो कि अपने सफर के अंत में इस नदी में आकर मिल जाती हैं. बागमती नदी को बूढ़ी गंडक नदी की प्रमुख सहायक नदी माना जाता है. इसके अलावा मसान, बालोर, पंडई, सिकटा, तिलावे, तिऊर, धनउती, कोहरा, डंडा, अंजानकोटे, सिरिस्वा, कोरिया, हरबोरा इसकी अन्य सहायक नदियां हैं, जो कि बूढ़ी गंडक नदी के 320 किलोमीटर के सफर में इसमें समाहित होती चली जाती हैं.
बूढ़ी गंडक नदी समान्यतः सहजता और निरन्तरता से बहती रहती है, किन्तु नदी के जल, तटों, संसाधनों व इसकी सहायक नदियों से छेड़छाड़ करने पर यह कभी- कभी विकराल रूप भी धारण कर लेती है, जो कि बाढ़ जैसी आपदाओं को जन्म देती है. जिससे इसके आस- पास बसे लोगों को जानमाल की हानि का सामना भी करना पड़ जाता है .